कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में 'Contact Tracing' एप बना नया हथियार
Contact Tracing App डेली मेल के अनुसार कांटेक्ट ट्रेसिंग लोगों को अलग करने में लगने वाले समय को करीब दो दिनों के लिए कम कर देता है जिससे कोरोना वायरस का प्रसार कम होता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Contact Tracing App: कोरोना के खिलाफ इस जंग में हमारी कोशिशें जरूर रंग लाएगी। यह विश्वास उस हर शोध से पुख्ता हो रहा है, जो कोविड-19 से लड़ाई के लिए हमें नई जानकारियां उपलब्ध करवा रहा है। ऐसा ही शोध सामने आया है, जिसमें चीनी शोधकर्ताओं ने बताया है कि कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिए हम कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने 391 कोरोना संक्रमित लोगों और उनके संपर्क में आने वाले 1,286 लोगों पर नजर रखी। डेली मेल के अनुसार कांटेक्ट ट्रेसिंग लोगों को अलग करने में लगने वाले समय को करीब दो दिनों के लिए कम कर देता है, जिससे कोरोना वायरस का प्रसार कम होता है। लौंसेट इंफेक्शियस डिजीज में यह शोध प्रकाशित हुआ है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग : इसमें संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं लोगों का तेजी से पता लगाया जाता है। फिर उन्हें आइसोलेट किया जाता है और समुदाय में संक्रमण को फैलने से रोका जाता है। वैश्किव लॉकडाउन के बाद से ही किसी भी लक्षण की रिपोर्ट करने के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग सरकार द्वारा समर्थित उपाय के रूप में सामने आया है।
कम होता है प्रकोप : शोध कहता है कि कांटेक्ट ट्रेसिंग ने संक्रमित व्यक्ति को अलग करने में लगने वाले औसतन 4.6 दिन की जगह 2.7 दिन का समय लिया। यह शोध चीन के शेनजेन में 14 जनवरी से 12 फरवरी के मध्य हुआ। हर्बिन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. टिंग मा कहते हैं कि शेनजेन में कोविड-19 का अनुभव, वायरस के प्रसार को कम करने के लिए परीक्षण और कांटेक्ट ट्रेसिंग के विशाल पैमाने को प्रदर्शित कर सकता है। कुछ सख्त नियंत्रण उपाय यहां लागू किए गए। जैसे लोगों को घरों के बाहर आइसोलेट करना। इन्हें अन्य जगहों पर दोहराने की जरूरत नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिणाम प्राप्त करने के लिए अन्य देश शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए और आंशिक लॉकडाउन के साथ परीक्षण और कांटेक्ट ट्रेसिंग अपना सकते हैं।
लोगों को अलग रखा गया : डेली मेल के अनुसार शेनजेन में संक्रमण के लक्षण वाले लोगों को आइसोलेट किया और पहले ही इलाज शुरू कर दिया गया। जिनमें लक्षण नही थे, उन्हें अलग रखा गया। संपर्क में आए लोग जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई, उन्हें घर में ही अलग रखा गया और 14 दिनों तक नजर रखी गई। संपर्क में आने वाले लोग उन्हें माना गया जो लक्षण नजर आने के दो दिन पूर्व से ही किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ रह रहे थे या फिर यात्रा या भोजन कर रहे थे। इन संपर्कों का परीक्षण किया गया। कोविड-19 की पहचान के बाद कांटेक्ट ट्रेस से मिले 87 लोगों में से 17 में कोई लक्षण विकसित नहीं हुआ। जबकि 30 फीसद को बुखार नहीं आया।
मूल्यवान रणनीति : लीवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के सीनियर क्लिनिकल लेक्चरर डॉ. टॉम विंगफील्ड ने कहा कि ट्रेसिंग और टेस्टिंग ने कोविड-19 के लक्षणों को दर्शाने वाले व्यक्तियों के बीच के समय को कम कर दिया है। कोरोना संक्रमण रोकने में यह प्रमुख रणनीति हो सकती है। उधर, इसे लेकर एप बनाने पर भी काम चल रहा है।
सीमाएं भी : हर संपर्क का पता लगाना असंभव है। इसलिए कांटेक्ट ट्रेसिंग करीबी संपर्कों पर ध्यान केंद्रित करता है क्योंकि उन्हीं लोगों में से सबसे अधिक संक्रमित होने की संभावना होती है।
साथ रहने वालों को संक्रमण : रोग के प्रसार की सर्वाधिक संभावना उनमें थी जो एक घर में साथ रहते हैं, लेकिन सभी घनिष्ठ संपर्क में आने वाले लोग कोविड-19 की चपेट में नहीं आए। शोध के मुताबिक, जो लोग संक्रमित मरीज के साथ एक घर में रहते थे, उनके संक्रमण की संभावना सर्वाधिक थी, लेकिन सिर्फ 11 फीसद लोग बीमार हुए। वहीं कोरोना संक्रमित के साथ यात्रा करने पर 6 और खाना खाने पर 9 फीसद संक्रमित हुए। शोध कहता है कि पांच करीबी संपर्कों में से एक में कोई लक्षण नहीं था, जबकि तीन को बुखार नहीं था।