समय के साथ अपनी प्रकृति बदल सकता है कोरोना, लोगों के दोबारा संक्रमित होने का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस समय के साथ अपनी प्रकृति बदल सकता है। यही नहीं जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं यह वायरस उन्हें भी बीमार बना सकता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कोरोना वायरस के रोगियों की संख्या देश में जिस गति से बढ़ रही है, वह बाकी देशों की अपेक्षा नियंत्रित कही जा सकती है। रविवार दोपहर तक देश में कोरोना ग्रसित रोगियों की कुल संख्या 975 के पार पहुंच गई। अभी तक के नए आंकड़ों में 86 रोगी बीमारी से ठीक हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ समेत अन्य विशेषज्ञ ठीक हो रहे लोगों में दोबारा संक्रमण होने से इंकार भी नहीं कर रहे हैं। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के संक्रमित हुए अधिकतर लोगों के दोबारा इसकी चपेट में आने पर ठीक होने की संभावना और इसका असर कम रहने की आशंका जताई है।
पुन: संक्रमित होने का खतरा
इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का अब तक का अध्ययन बताता है कि कोविड-19 के प्रति इंसानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर कोई एक मत नहीं है। एमईआरएस-कोव संक्रमण वाले रोगियों के केस में पाया गया था कि एक बार रोगियों के रोग मुक्त होने के बाद जल्द उनके बीमार पड़ने की आशंका नहीं थी, लेकिन कोविड-19 के केस में इस तरह की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं।
वायरस बदल सकता है प्रकृति
ह्यूस्टन में टेक्सास यूर्निवर्सिटी के पीडियाट्रिक (बाल रोग) मेडिकल स्कूल में सहायक प्रोफेसर डॉ. पीटर जंग का मानना है जैसे ही फ्लू के संक्रमण से व्यक्ति में दिखने वाले लक्षण और वायरस की प्रकृति में बदलाव हुआ वैसे ही कोविड-19 का वायरस भी खुद में बदलाव ला सकता है। ऐसे में वायरस की बदलती प्रकृति शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हुए उसे अतिसंवेदनशील बना सकती है, जिससे बीमार होने का खतरा बढ़ सकता है।
शरीर करता है संरक्षण
कोविड-19 को लेकर चीन के बीजिंग स्थित चाइना-जापान मैत्री अस्पताल के निमोनिया रोकथाम व उपचार विभाग के निदेशक ली किन्गयुआन ने चीन में कोविड पॉजिटिव कई केस में पाया कि कई संक्रमित व्यक्तियों के शरीर ने इससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित की। लेकिन, इस बात की पुष्टि नहीं है कि यह संरक्षण कितने समय तक व्यक्ति के शरीर में रहता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे बीमार व्यक्ति एवं अन्य कारणों में यह क्षणिक प्रभावी रही।
पुराने कोरोना से बदला हुआ स्वरूप
पेन ग्लोबल मेडिसिन के चिकित्सा निदेशक स्टीफन ग्लुकमैन के अनुसार एक बार रोग होने के बाद अधिकतर व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। लेकिन, कोरोना के मामले में अभी तक स्पष्ट न होने से स्थिति उलट है। कोरोना वायरस नया नहीं है। लंबे समय से कई प्रजातियों के आसपास कोरोना रहे हैं। इसलिए कोरोना वायरस की प्रकृति और उससे बचने के जो उपाय हैं वह सब पर्याप्त होने के बाद भी संपूर्ण नहीं है। लेकिन, इस बार कोरोना के बदलते स्वरूप से उसकी प्रकृति को लेकर कोई एकमत नहीं है।