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COVID-19: बड़ों व बच्चों की नींद भी चुरा रहा कोरोना, जानें- स्लीप कंसल्टेंट केरी बजाज की सलाह

Coronavirus की वजह से बड़े ही नहीं बच्चों तक की नींद बुरी तरह से प्रभावित हुई है। स्लीप कंस्लटेंट केरी बजाज बता रहीं इससे बच्चने के आसान तरीके। पढ़ें- क्या करें और क्या न करें।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 03:41 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 04:38 PM (IST)
COVID-19: बड़ों व बच्चों की नींद भी चुरा रहा कोरोना, जानें- स्लीप कंसल्टेंट केरी बजाज की सलाह
COVID-19: बड़ों व बच्चों की नींद भी चुरा रहा कोरोना, जानें- स्लीप कंसल्टेंट केरी बजाज की सलाह

नई दिल्ली [स्मिता]। भारत समेत पूरी दुनिया इन दिनों घातक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रही है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं ये वायरस बड़ों और बच्चों तक की नींद भी चुरा रहा है। देश की नामी स्लीप कंसल्टेंट केरी बजाज बता रही हैं कैसे अपने बच्चों को अनिद्रा की इस समस्या से महफूज रखा जाए।

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केरी बजाज भारत के उन गिने-चुने स्लीप कंसल्टेंट में से एक हैं, जो इन दिनों कोरोना संकट से उपजी अनिद्रा की समस्या से जूझे रहे लोगों को अच्छी नींद लेने में मदद कर रहे हैं। वह मुंबई में रहती हैं और आजकल सोशल साइट्स से जुड़कर नींद न आने की समस्या से परेशान बच्चों और बड़ों को समूचित सलाह दे रही हैं। उन्होंने बच्चों के नींद न आने की समस्या और उसके निदान पर एक किताब 'स्लीप बेबी स्लीप' भी लिखी है।

बड़ों को भी सलाह दे रहीं चाइल्ड स्लीप कंसल्टेंट

केरी बजाज पिछले कुछ वर्षों से भारत में चाइल्ड स्लीप कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही हैं। इन दिनों कोरोना वायरस संकट की वजह से नींद की समस्या न सिर्फ बच्चों, बल्कि बड़ों को भी हो रही है। इसलिए वे आजकल बड़ों की भी स्लीप कंसल्टेंट बनी हुई हैं। केरी ने वाशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क के इंटीग्रेटिव न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूट से अपनी पढ़ाई पूरी की है। न्यूयॉर्क में डॉक्टर फ्रैंक लिपमैन के साथ वे वर्षों तक न्यूट्रीशनिस्ट के रूप में भी काम कर चुकी हैं। अमेरिका में उन्होंने नवजात शिशुओं और बच्चों की नींद पर अध्ययन और गहन शोध किया है। शादी के बाद पिछले तीन साल से वे मुंबई में रहकर चाइल्ड स्लीप कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही हैं।

आपको स्लीप कंसल्टेंट बनने के लिए किसने प्रेरित किया?

मेरी बेटियां जब सात महीने की थीं, तो वे रात के 7 बजे से सुबह के 7 बजे तक सोती रहती थीं। लोग उनके नींद लेने के शेड्यूल के बारे में अक्सर मुझसे सवाल किया करते थे। शुरू से मैं मानती रही हूं कि अच्छी और पूरी नींद लेने का अधिकार हर एक बच्चे और बड़े को है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है, जब मैं उनकी मदद करती हूं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। जब पेरेंट्स बताते हैं कि मेरी वजह से उनका बच्चा पूरी नींद ले पाया और जब वे जगे, तो उनके चेहरे पर ताजगी दिखी। ये वाक्य मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं हैं।

प्रोफेशनल स्लीप कंसल्टेंट बनने का विचार किस तरह आया?

तीन साल पहले जब मैं भारत आई, तो मैंने देखा कि यहां पेरेंट्स अपने बच्चों को सुलाने और उन्हें अच्छी नींद देने के लिए कई तरह से प्रयास करते रहते हैं। मैं उनकी मदद करना चाहती थी। इसलिए मैंने यह काम शुरू कर दिया।

कोई एक महत्वपूर्ण घटना, जिसमें आपकी सलाह काफी कारगर साबित हुई?

पिछले दिनों मैं एक 18 महीने के बच्चे के साथ काम कर रही थी। जो रात में कई बार जग जाता था और उसकी नींद बाधित हो जाती। बड़े बच्चे तो अपनी समस्या बता देते हैं और बड़े लोगों की बात सुन और समझ भी पाते हैं, लेकिन छोटे बच्चों को कुछ भी समझा पाना कठिन है। इस बच्चे की उम्र के अनुसार, मैंने उसका नैप शेड्यूल बनाया। सबसे पहले तो सुबह 4 बजे जो उसे फीड दी जाती थी, बंद कर दिया। उसके सोने के समय में परिवर्तन कर दिया। जिस तरह उसे बिछावन पर सुलाया जाता था, उसमें भी बदलाव लाया गया। परिणाम यह हुआ कि अब वह रात भर आराम से सो पाता है। वह सुबह मुस्कराते हुए जगता है। उसके मां-पिता भी निश्चिंत हो गए हैं और उन्हें भी सुकून वाली नींद आने लगी है।

कोरोना के कारण लोग तनाव में हैं और उनकी नींद भी प्रभावित हो रही

कोरोना के कारण लोगों में काफी तनाव देखा जा सकता है। इसकी वजह से बड़े ही नहीं बच्चों तक में अनिंद्रा की समस्या बढ़ी है। इससे बचने का उपाय बहुत आसान है। केवल अपनी दिनचर्या निर्धारित कर इससे बचा जा सकता है और सुकून भरी अच्छी नींद ली जा सकती है। लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद हैं। इसलिए बच्चों में स्कूल बस पकड़ने की हड़बड़ी नहीं होती है और उनके सोने का समय भी प्रभावित हुआ है। वे शारीरिक क्रिया-कलाप भी न के बराबर कर रहे हैं। यहां पर मांओं को तय कर करना होगा कि बच्चे अधिक से अधिक नींद ले पाएं। 11 घंटे की नींद बच्चों के लिए अच्छी मानी जाती है। अपने बच्चे को दिनभर सक्रिय बनाएं रखें। उन्हें पजल, ऑब्सटेकल कोर्सेस और यूट्यूब पर मौजूद कॉस्मिक किड्स योगा, जुंबा नृत्य आदि से भी जोड़ने की कोशिश करें।


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