Coronavirus: झुग्गी-बस्तियों में कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए एडवाइजरी जारी
Coronavirus स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थानीय प्रतिनिधियों व वार्ड सदस्यों के सहयोग की अपेक्षा जताई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने झुग्गी बस्तियों में कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय का कहना है कि अनधिकृत कालोनियों और झुग्गी झोपडि़यां गंभीर समस्या पैदा करती हैं क्योंकि ऐसे स्थानों पर बड़ी आबादी निवास करती है।मंत्रालय का कहना है कि अगर ऐसे किसी क्षेत्र में कोरोना का कोई पॉजिटिव केस सामने आता है तो कंटेनमेंट प्लान लागू करना होगा जिसमें स्थानीय प्रतिनिधियों और वार्ड सदस्यों को स्वास्थ्य अधिकारियों का सहयोग करना होगा।
एडवाइजरी के मुताबिक, निवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इलाके के स्थानीय प्रतिनिधियों, वार्ड सदस्यों और प्रभावशाली व्यक्तियों को कुछ नियमों का पालन कराना होगा। इनमें भीड़ जुटने से रोकना और शौचालय, जलापूर्ति स्थलों जैसे कॉमन इलाकों की नियमित सफाई शामिल है।एडवाइजरी में बुजुर्गो (60 वर्ष या अधिक) को घरों के अंदर रहने का अनुरोध किया गया है। अगर किसी परिवार का सदस्य पड़ोस में घरेलू सहायक के तौर पर काम करता है तो उससे दो हफ्ते के लिए छुट्टी का अनुरोध करना चाहिए ताकि न तो नियोक्ता और न ही कर्मचारी कोरोना संक्रमण का शिकार बने।
अगर उन्हें काम पर जाना पड़े तो उन्हें काम से पहले और काम के बाद साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोने चाहिए।इसमें कहा गया है कि शौचालय बंद जगह होती है और अन्य लोगों के लिए संक्रमण का संभावित स्त्रोत होती है। लिहाजा शौचालयों की नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए। साथ ही शौचालयों, पेयजल आपूर्ति स्त्रोतों और राशन दुकानों इत्यादि के पास भीड़ इकट्ठी होने से रोका जाना चाहिए। इसके अलावा पंक्ति में अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों को एक मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए, चेहरा एक दूसरे से दूर रखना चाहिए और अपनी आंखें, नाक व मुंह छूने से बचना चाहिए।
झुग्गी बस्ती का कोई निवासी अगर किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए तो उसे घर में 14 दिन के क्वारंटाइन में रहना चाहिए। अगर उनमें बुखार, खांसी, नाक बहने और सांस लेने में तकलीफ के लक्षण विकसित हो जाएं तो उन्हें तत्काल स्थानीय प्रतिनिधि या वार्ड सदस्य से संपर्क करना होगा ताकि उन्हें आगे की सहायता दी जा सके। स्वास्थ्य विभाग चिन्हित अस्पताल में उनकी नि:शुल्क जांच और इलाज कराएगा। मरीज को अस्पताल तक एंबुलेंस में लेकर जाया जाएगा। इसके अलावा संदिग्ध मामले के संपर्क में आने वाले सभी व्यक्तियों की सूचना भी संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को दी जाएगी ताकि उन्हें भी निगरानी के लिए घर में क्वारंटाइन किया जा सके।