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कोरोना इलाज में कई डॉक्टर भी बीमारी के चपेट में, जरूरी PPE की कमी; अब आयात की है तैयारी

सरकार के अनुमान के मुताबिक अभी देश में रोजाना 20000 से अधिक पीपीई की जरूरत है लेकिन इस संख्या में घरेलू स्तर पर निर्माण नहीं हो पा रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 09:24 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 09:28 PM (IST)
कोरोना इलाज में कई डॉक्टर भी बीमारी के चपेट में, जरूरी PPE की कमी; अब आयात की है तैयारी

राजीव कुमार, नई दिल्ली। कोरोना वायरस का इलाज करते हुए जिस तरह से कई डॉक्टर भी इस महामारी के चपेट में आ रहे हैं वह गंभीर चुनौती बनी हुई है। सरकार की चिंता इस बात की है कि अभी देश में इन चिकित्साकर्मियों के पास आवश्यक सुरक्षा कवच यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) नहीं है। असलियत में देश के पास ही पर्याप्त PPE नहीं है। अब बड़ी संख्या में पीपीई का आयात होने जा रहा है। सरकार कोरोना इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जरूरी एन-95 मास्क का भी आयात कर रही है। कोरोना पीड़ित के इलाज के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई और एन-95 मास्क पहनना आवश्यक है अन्यथा इनके संक्त्रमित होने की पूरी आशंका रहती है।

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17 मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने पीपीई के सैंपल किए विकसित

सरकार के सूत्रों के मुताबिक गत 18 मार्च को कोरोना मसले पर विभिन्न मंत्रालयों की बैठक में बताया गया था कि मई तक 7 लाख बॉडी कवरऑल्स की जरूरत होगी और 60 लाख एन-95 मास्क की तो एक करोड़ 3 प्लाई मास्क की। मार्च से पहले तक भारत में बॉडी कवर का उत्पादन घरेलू स्तर पर नहीं होता था और भारत पूरी तरह से पीपीई के लिए आयात पर निर्भर करता था। चीन में दिसंबर महीने में कोरोना फैलने के बाद से आयात की सप्लाई चेन बाधित हो गई जिससे पीपीई का आयात भी नहीं किया जा सका। तब सरकार की तरफ से देश में ही पीपीई के उत्पादन की कवायद शुरू हुई और पिछले 12 मार्च से लेकर एक अप्रैल तक 17 मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने पीपीई के सैंपल को विकसित किया। इनमें से 5 कंपनियों के सैंपल विश्र्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। इस प्रकार अभी 12 कंपनियां ही पीपीई बनाने के काम में जुटी हैं, लेकिन इनकी उत्पादन क्षमता काफी कम है। भारत में बनने वाले एक नॉन वूवेन सिंगल यूज बॉडी कवरऑल्स की कीमत 700 रुपए है।

रोजाना बीस हजार से अधिक पीपीई की जरूरत

सरकार के अनुमान के मुताबिक अभी देश में रोजाना 20,000 से अधिक पीपीई की जरूरत है, लेकिन इस संख्या में घरेलू स्तर पर निर्माण नहीं हो पा रहा है। 15 अप्रैल तक घरेलू स्तर पर रोजाना 15,000 पीपीई बनाया जा सकेगा। 25 अप्रैल तक यह क्षमता बढ़कर 25,000 हो सकती है। भारत की कोशिश दक्षिण कोरिया और चीन से पीपीई आयात करने की है। इसी तरह से एन-95 मास्क के भी आयात का फैसला किया है। अभी भारत में एन-95 मास्क का औसतन उत्पादन रोजाना एक लाख का है। प्लाई-3 मास्क का देश में भरपूर उत्पादन हो रहा है। कुछ सप्ताह पहले तक भारत मास्क का निर्यात भी कर रहा था, लेकिन मास्क की कमी को देखते हुए इस पर रोक लगा दी गई।


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