छत्तीसगढ़ के जिला अस्पताल की अमानवीयता: कोरोना टेस्ट के नाम पर पांच दिन रखा शव
कोरबा जिला अस्पताल में पांच दिन से एक युवक की लाश पोस्टमार्टम हाउस में रखी हुई है। परिजनों को कहा गया है कि मौत का कारण संदिग्ध है।
कोरबा, राज्य ब्यूरो। देश में कोरेाना वायरस के नाम पर अलग-अलग तरीके से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है और उनका टेस्ट भी नहीं हो रहा है। ऐसा ही छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला अस्पताल में देखने को मिला। इस दौरान जिला अस्पताल प्रबंधन की अमानवीयता सामने आई है। पांच दिन से एक युवक की लाश पोस्टमार्टम हाउस में रखी हुई है। परिजनों को कहा गया है कि मौत का कारण संदिग्ध है। कोरोना जांच रिपोर्ट के बाद ही शव को अंत्येष्टि के लिए सौंपा जाएगा।
बातचीत के दौरान गफलत के कारण हुई गड़बड़ी
परिजन पांच दिनों से अस्पताल का चक्कर काटते रहे। अब उनसे कहा जा रहा है कि बातचीत के दौरान गफलत की वजह से ऐसा हुआ। कोरोना जांच कराने की जरूरत नहीं है। जवान युवक की मौत का गम और उस पर इस संवेदनहीनता ने पीड़ित परिवार को झिंझोड़ कर रख दिया है।
यह थी परेशानी
गुरसिया में रहने वाले सुखराम यादव सात-आठ माह से टीबी की बीमारी के चलते अस्वस्थ चल रहे थे। उनका इलाज स्थानीय स्तर पर ही परिजन करा रहे थे। 21 मई को उनकी तबीयत अचानक अधिक खराब हो गई। सांस लेने में तकलीफ हुई। परिजन उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोड़ी-उपरोड़ा लेकर गए। यहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। जिला अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
डॉक्टरों ने कोरोना टेस्ट की पर्ची लिख दी
चिकित्सक ने परिजनों से पूछताछ की तो पता चला सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। यह सुन चिकित्सक ने मौत को संदिग्ध मानते हुए कोरोना टेस्ट की पर्ची लिख दी। शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया। सोमवार को सुखराम का बड़ा भाई महेश यादव व कुछ अन्य परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। तब चिकित्सकों ने बताया कि मंगलवार को पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को सौंपा जाएगा। अब अस्पताल प्रबंधन कह रहा है कि सुखराम की सामान्य मौत होने की वजह से टेस्ट की आवश्यकता नहीं है।