तमिलनाडु में राज्यपाल के दौरे को लेकर विवाद
द्रमुक ने आरोप लगाया कि राज्यपाल निर्वाचित प्रतिनिधि की तरह अधिकारियों से मिल रहे हैं और लोगों से अर्जियां प्राप्त कर रहे हैं।
चेन्नई, प्रेट्र। तमिलनाडु में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के जिलों के दौरे और अधिकारियों से मुलाकात को लेकर विवाद उभरा है। जबकि राज्यपाल ने इसी पूरी तरह सही ठहराया है। विपक्षी दल द्रमुक और वीसीके ने शुक्रवार को राज्यपाल के कड्डालोर दौरे के खिलाफ प्रदर्शन किया।
द्रमुक ने आरोप लगाया कि राज्यपाल निर्वाचित प्रतिनिधि की तरह अधिकारियों से मिल रहे हैं और लोगों से अर्जियां प्राप्त कर रहे हैं। ऐसा करना राज्य की स्वायत्तता के खिलाफ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एस. तिरुनवुक्कारसार ने भी मुख्यमंत्री या मंत्रियों की गैरमौजूदगी में राज्यपाल के दौरे की आलोचना की। राज्यपाल ने विपक्ष की आलोचना को खारिज किया और कहा कि सरकार की नीतियों और योजनाओं को लागू करने के प्रशासन के प्रयास को जानना जरूरी है।
अपने राज्य के सही हालात से परिचित होना राज्यपाल का दायित्व है। राजभवन से शनिवार को जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल आने वाले महीनों में विभिन्न जिलों का दौरा और अधिकारियों एवं आम जनता से मुलाकात जारी रखेंगे। बयान में कहा गया है कि संविधान के प्रावधानों के तहत राज्यपाल की भूमिका के अनुरूप राज्यपाल अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। संविधान के अनुसार राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का प्रधान होता है। राजभवन ने केंद्र के निर्देश पर राज्यपाल के दखल के आरोप को बेतुका बताया है।
चिदंबरम ने की आलोचना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा कि राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का 'वास्तविक' प्रधान नहीं होता। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने संविधान के तहत राज्यपाल को कार्यपालिका का प्रधान बताने के राजभवन के बयान पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल केवल 'नाममात्र' का प्रधान होता है। वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री है जो केंद्र के डर से चुपचाप है। चिदंबरम ने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल अपने अधिकारों से आगे जा कर काम कर रहे हैं।