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पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठित, चारों वरिष्ठ जज शामिल नहीं

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में सीजेआइ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 11:16 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jan 2018 08:47 AM (IST)
पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठित, चारों वरिष्ठ जज शामिल नहीं
पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठित, चारों वरिष्ठ जज शामिल नहीं

नई दिल्ली, प्रेट्र : प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) जस्टिस दीपक मिश्रा और चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के बीच हालिया तनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के गठन की घोषणा कर दी। खास बात यह है कि इसमें चारों वरिष्ठ न्यायाधीशों (जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है।

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आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में सीजेआइ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। यह पीठ 17 जनवरी से महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी। बताते चलें कि इन्हीं जजों की संविधान पीठ आधार कानून की संवैधानिकता पर सुनवाई के लिए पहले ही गठित हो चुकी थी। इसी पीठ ने 15 दिसंबर को आधार मामले में अंतरिम राहत पर आदेश पारित किया था। उसी तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश भी पारित किया था कि 17 जनवरी से आधार मामले को नियमित सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

नए घटनाक्रम में खास बात यह है कि बाकी सात अन्य महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई भी यही पीठ करेगी। उनमें वयस्कों के बीच आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध मानने के 2013 के फैसले पर पुनर्विचार और केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध का मामला शामिल है। साथ ही पीठ पारसी महिला के अन्य धर्म के पुरुष से शादी करने बाद धार्मिक पहचान खोने अथवा नहीं खोने के मसले पर भी विचार करेगी। एक अन्य मसला विवाहेतर संबंधों में सिर्फ पुरुषों को ही सजा के प्रावधान का है। साथ ही पीठ को उन याचिकाओं पर भी सुनवाई करनी है जिसमें सवाल उठाया गया है कि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसद या विधायक कब अयोग्य माने जाएंगे।


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