OBC Reservation : निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए पुनरीक्षण याचिका पर विचार
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर स्थानीय निकाय चुनाव में संविधान के अनुरूप आरक्षण नीति का पालन करें।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को राजनीतिक आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करने पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने तब तक राज्यों को शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित त्रिस्तरीय जांच मानदंडों का अनुपालन करने को कहा है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से स्थानीय निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में निरस्त किए जाने के बाद सरकार ने यह बात कही है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर स्थानीय निकाय चुनाव में संविधान के अनुरूप आरक्षण नीति का पालन करें। संसद, राज्य विधानसभाओं और शहरी तथा ग्रामीण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी आरक्षण को राजनीतिक आरक्षण कहा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
त्रिस्तरीय जांच के तहत सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति और नतीजों का पता लगाने के लिए आयोग का गठन करने के लिए कहा है। दूसरी शर्त है कि आयोग की संस्तुति के अनुरूप आरक्षण के अनुपात का उल्लेख किया जाए। इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सियासत जारी
वहीं, दूसरी ओर मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सियासत जारी है, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह मुद्दा छाया हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओबीसी आरक्षण को लेकर कहा कि सरकार पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही कराने के पक्ष में है इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी। वहीं, उन्होंने ने सदन में ओबीसी आरक्षण को लेकर बड़ा बयान भी दिया है।
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