प्रेम संबंध के बीच बने रिश्ते को बलात्कार मानने से इन्कार, बांबे हाईकोर्ट ने युवक को किया बरी
हाई कोर्ट में जस्टिस भाडांग ने अपने आदेश में कहा, पहली बार शारीरिक संबंध बनने के बाद आगे भी युवती ने उन संबंधों में सहयोग दिया।
पणजी, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट की पणजी बेंच ने शारीरिक संबंध साबित होने के बाद बलात्कार मामले में सजा पाए युवक को बरी कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रगाढ़ प्रेम संबंधों के बीच बने शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता। युवक योगेश पालकर (27) ने निचली अदालत से मिली सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने योगेश को बलात्कार मामले में दोषी मानते हुए उसे दस साल के कारावास और दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी थी। हाई कोर्ट बेंच में जस्टिस सीवी भाडांग ने योगेश को मामले में बरी करने का आदेश दिया। घटनाक्रम में 25 वर्षीय युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि पेशे से शेफ योगेश ने शादी का वादा करके वर्ष 2013 में उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए थे। लेकिन फरवरी 2014 में योगेश ने उसकी अनदेखी शुरू कर दी और पिछड़ी जाति का हवाला देकर शादी से इन्कार कर दिया।
इस मामले की सुनवाई के बाद पणजी की विशेष अदालत ने 31 मार्च, 2015 को योगेश को सजा सुनाई थी। सुनवाई के दौरान युवती ने विशेष अदालत में शपथ पत्र दिया था कि वह योगेश को जेल में कैद कराना नहीं चाहती है। बलात्कार के मुकदमे के चलते योगेश उस समय अवसाद का शिकार हो गया था।
हाई कोर्ट में जस्टिस भाडांग ने अपने आदेश में कहा, पहली बार शारीरिक संबंध बनने के बाद आगे भी युवती ने उन संबंधों में सहयोग दिया। साथ ही योगेश को जेल न भेजे जाने का शपथ पत्र दिया। इससे साफ है कि शिकायत करने वाली युवती और युवक में प्रगाढ़ प्रेम संबंध थे। उन्हीं संबंधों के बीच शारीरिक संबंध भी बने। ऐसे में शादी के वादे के तथ्य को तवज्जो नहीं दी जा सकती।