केंद्र पर भड़की कांग्रेस, कहा- राज्यों पर ही सब डालना है, तो जीएसटी काउंसिल का आडंबर क्यों?
जीएसटी काउंसिल की बैठक में शामिल होने के बाद कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्रियों के संयुक्त रूप से बैठक कर केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े किए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल में गुरुवार को लिए गए फैसले पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है। साथ ही कहा है कि जब राज्यों को ही सब कुछ डालना है, तो फिर जीएसटी काउंसिल का आडंबर क्यों? सभी राज्यों को अपने-अपने ऊपर छोड दीजिए। बस सभी वस्तुओं का एक कामन टैक्स तय कर दीजिए। राज्य अपने स्तर पर टैक्स कलेक्शन कर लेंगे।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में शामिल होने के बाद कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्रियों के संयुक्त रूप से बैठक कर केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े किए। इन सभी कहना था कि काउंसिल में गुरुवार को जो फैसला लिया गया वह ठीक वैसा सी था, जैसे पहले कहते है कि हम बड़े भाई है, हम सब का देखभाल करेंगे, लेकिन स्थिति थोड़ी-सी बुरी हुई, तो हम कुछ नहीं जानते है। आप रास्ता देखिए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि भारत जैसे देश में संवैधानिक प्रावधानों की उल्लंघन करने सिर्फ बहुमत के आधार पर हाथ मरोडने जैसी बात हो रही है। जो वादा किया था उसका आधा भी दे दिया होता, तो भी ठीक होगा। बाकी बाद में दे देते, लेकिन यहां तो कुछ नहीं दिया गया, बल्कि कहा गया कि आप उधार ले लो। हम आसानी से उसे दिलवा देंगे।
दरअसल, जीएसटी काउंसिल की गुरुवार को हुई बैठक में उम्मीद थी कि राज्यों के कंपनसेशन को लेकर कोई अंतिम फैसला हो सकेगा, लेकिन उल्टा इस मुद्दे पर केंद्र व राज्यों के बीच रार बढ़ गई। कोविड की वजह से केंद्र व राज्यों का राजस्व संग्रह काफी कम हो गया है। सरकार की गणना कहती है कि जीएसटी संग्रह कम होने की वजह से राज्यों को फिलहाल 2.35 लाख करोड़ रुपये का कंपनसेशन करने की जरूरत है। इसकी भरपाई के लिए केंद्र का सुझाव है कि राज्य आरबीआइ से या आरबीआइ के माध्यम से बाजार से उधारी ले।
साफ है कि केंद्र अपनी तरफ से कोई अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है। गैर भाजपाई राज्यों ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया है, जबकि भाजपा शासित राज्य भी संतुष्ट नहीं है। इस संबंध में राज्यों को दो विकल्प सुझाये गये हैं। पहला विकल्प यह है कि राज्य आरबीआइ से 97 हजार करोड़ रुपये का कर्ज विशेष प्रावधान के तहत लें और दूसरा विकल्प यह है कि कुल 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि राज्य आरबीआइ के माध्यम से बाजार से उधारी लें। दोनों विकल्पों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को मदद दी जाएगी। राज्यों को फैसला करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है।
पहले विकल्प के तहत 97 हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा किस तरह से आया है, इसके बारे में राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल से लेकर जुलाई तक राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपए के जीएसटी कंपनसेशन दिए जा चुके हैं। जबकि राजस्व संग्रह में भारी गिरावट की वजह से राज्यों को 3 लाख करोड़ रुपए का जीएसटी कंपनसेशन राज्यों को देने की स्थिति बनी है। दूसरी तरफ कंपनसेशन सेस का कलेक्शन चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। ऐसे में, राज्यों को कुल 2.35 लाख करोड़ रुपये का कंपनसेशन देने की स्थिति बन रही है।