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कांग्रेस से बगावत कर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी ने बनाई नई पार्टी

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने आखिरकार कांग्रेस से बगावती तेवर अपनाते हुए नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 06 Jun 2016 06:32 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jun 2016 10:44 PM (IST)

राधाकिशन शर्मा,मरवाही / बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने आखिरकार बगावती तेवर अपनाते हुए नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है।बरसते पानी के बीच जोगी ने कहा कि यह इंद्रदेवता का आशीर्वाद है। वे अब आजाद हो गए हैं। अचानक हुई बारिश से कार्यक्रम स्थल पर अफरातफरी के हालात भी निर्मित हो गए। मंच से कोटमी घोषणा पत्र भी जारी किया गया। जोगी ने कहा कि उनकी पार्टी भूख, गरीबी और बेरोजगारी के खिलाफ संघर्ष कर छत्तीसगढ़ को कर मुक्त राज्य बनाएगी।

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विधानसभा के पूर्व उप सभापति और विधायक धर्मजीत सिंह ने प्रस्ताव पढ़कर सुनाया जिसका यहां आयोजित कार्यक्रम में मौजूद बड़ी संख्या में नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हाथ उठाकर स्वागत किया। आयोजन में अजीत जोगी के साथ उनकी विधायक पत्नी और विधायक बेटा भी मौजूद था। नेताओं ने कहा कि अब राज्य के फैसले दिल्ली में नहीं होंगे।

जोगी ने गले में कांग्रेस का गमछा डाला हुआ था। उन्हाेंने छत्तीसगढ़ी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनके परिवार को झूठा बदनाम किया गया। उन्होंने अपने घोषणा पत्र का लोकार्पण करते हुए कहा कि राज्य की अस्मिता के लिए नई पार्टी की जरूरत है।

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इस आयोजन को लेकर मरवाही विधानसभा क्षेत्र के कोटमीकला में आज राजनीतिक सरगर्मी तेज रही। अजीत जोगी की बहू रिचा जोगी के सभास्थल पहुंचने पर समर्थकों में गर्मजोशी से उनका स्वागत किया।कार्यकर्ताओं ने - मैं हूं जोगी लिखी टोपी पहन रखी थी। अमित जोगी ने भी संबोधित कर कार्यकर्ताओं में जोश का संचार किया।जोगी अपने परिवार के साथ मंच पर पहुंचे। अमित ने कहा कि जितना हमें बदनाम किया गया उतना ही हमारा नाम हुआ है।

इससे पहले परिजनों ने जोगी को तिलक लगाकर और तलवार भेंट कर विदा किया। जोगी ने कहा कि कमान से निकला तीर वापस नहीं आता और तलवार का वार खाली नहीं जाता। पूर्व मंत्री डीपी धृतलहरे, विधान मिश्रा और पूर्व विधायक परेश बागबहरा मंच पर पहुंचे ।

सभा में मरवाही विधायक अमित जोगी द्वारा पूर्व में उठाए गए आउटसोर्सिंग का मुद्दा उछला। कमजोर विपक्ष के लिए मैजूदा कांग्रेस कमेटी को धिक्कारा गया। समर्थक क्षेत्रीय पार्टी बनाने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे यहां के बुजुर्गो को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं और क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद लेने आए हैं।उन्होंने खुद को मरवाही की मिट्टी का अंश बताते हुए मिट्टी को सिर से लगाया।

इस आयोजन पर कांग्रेस आलाकमान के साथ राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की नजरें टिकी हैं। बिल्हा के विधायक सियाराम कौशिक और पूर्व विधायक धर्मजीत सिंह भी सभा स्थल पहुंचे सभा के शुरू होने पर स्थानीय समर्थकों ने जोगी के साथ खड़े रहने का ऐलान किया ।

आयाेजन के लिए सुबह से ही जोगी के समर्थकों के आने का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। सभास्थल में नई पार्टी के गठन और नाम को लेकर समर्थकों के जनमत संग्रह करवाया गया।

इस संबंध में सभा स्थल से लगातार लोगों को समझाइश दी गई। सभास्थल में ग्रामीणों के आने का सिलसिला लगातार जारी है।बिलासपुर जिले के अलावा अंबिकापुर, कोरबा, मनेंद्रगढ़, रायपुर और धमतरी से बड़ी संख्या में जाेगी समर्थक यहां पहुंचे।

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इसलिये चुना कोटमीकला को

कोटमीकला गांव मरवाही विधानसभा क्षेत्र और कोंटा विधानसभा क्षेत्र के बीच आता है। मरवाही से जोगी के बेटे अमित विधायक हैं जबकि कोंटा से उनकी पत्नी डॉक्टर रेणु जोगी विधायक हैं। दोनों विधानसभा क्षेत्रों में अपने समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी संख्या को देखते ही जोगी ने आयोजन के लिए कोटमीकला का चयन किया है।

यह भी पता चला है कि मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया और अकलतरा के विधायक चुन्नीलाल साहू को पीसीसी चेयरमैन भूपेश बघेल ने कथित तौर पर जोगी की सभा में नहीं जाने के लिए फोन किया है। भीषण गर्मी के बीच भी ग्रामीणों में भारी उत्साह देखा गया।

गर्मी के चलते बरगद के पेड़ की छांव में समर्थक जमा हुए। कोटमी सभास्थल पर बने दो में से एक मंच पर मरवाही विधानसभा क्षेत्र के समाज प्रमुख और दूसरे मंच पर जोगी परिवार और समर्थक विधायक मौजूद रहे।

अंबिकापुर प्रतिनिधि के अनुसार सरगुजा से जोगी समर्थक विधायक अमरजीत भगत व बृहस्पति सिंह कोटमी नहीं गए । अमरजीत रायपुर में और बृहस्पति रामानुजगंज में हें। सरगुजा से कम संख्या में लोग कोटमी गए ।

एक नजर में अजीत जोगी

अजीत प्रमोद कुमार जोगी छत्तीसगढ के पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। बाद में वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। वे विधायक और सांसद भी रहे। बाद में 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ बना तो राज्य का पहला मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बनाया गया।

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