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कांग्रेस की उम्मीदों को गुरदासपुर के नतीजों से मिली उड़ान

सुरजेवाला ने अपने दावे के सही साबित करने के लिए वर्ष 2017 में छह लोकसभा के उपचुनाव के नतीजों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इन छह में से चार सीटें अमृतसर, श्रीनगर, मल्लापुरम और गुरदासपुर यूपीए ने जीती है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 15 Oct 2017 08:59 PM (IST)Updated: Mon, 16 Oct 2017 12:08 PM (IST)
कांग्रेस की उम्मीदों को गुरदासपुर के नतीजों से मिली उड़ान
कांग्रेस की उम्मीदों को गुरदासपुर के नतीजों से मिली उड़ान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।  गुजरात विधानसभा चुनाव में सब कुछ दांव पर लगा रही कांगे्रस के सियासी मनोबल को गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव के नतीजों ने नई उड़ान दी है। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की ताजपोशी की पार्टी में चल रही तैयारियों में भी जोश भर दिया है। इस सियासी मौके का तत्काल फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर निशाना साधने में देरी नहीं लगाई।

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कांग्रेस ने कहा कि गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव के नतीजे बदलते वक्त और मिजाज का संकेत दे रहे हैं। पार्टी मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उपचुनाव के परिणाम जनता की बुद्धिमता का संकेत है। इससे साफ हो गया है कि वक्त बदल रहा है और जुमलों के दिन लदने वाले हैं। सुरजेवाला ने अपने दावे के सही साबित करने के लिए वर्ष 2017 में छह लोकसभा के उपचुनाव के नतीजों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इन छह में से चार सीटें अमृतसर, श्रीनगर, मल्लापुरम और गुरदासपुर यूपीए ने जीती है।

कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर पूर्व क्रिकेटर और सूबे के मत्री नवजोत सिंह सिद्धू तक ने इस जीत को गुजरात चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़ा तोहफा बताने में हिचक नहीं दिखाई। दरअसल 2019 में पीएम मोदी की अगुआई वाली भाजपा-एनडीए को चुनौती पेश करने का सियासी संदेश देने के लिए कांग्रेस गुजरात चुनाव को बेहद अहम मान रही है।

संगठन के स्तर पर उत्तरप्रदेश, बिहार से लेकर उड़ीसा सरीखे कई बड़े राज्यों में अब भी पार्टी का संगठन राजनीतिक करिश्मा करने की स्थिति में नहीं है। इस लिहाज से गुजरात चुनाव में हैरतअंगेज नतीजा कांग्रेस को 2019 के मुकाबले में डटे रहने के लिए संजीवनी होगा। तो पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के चुनाव अभियान को भी इस जीत से सहारा मिलेगा। पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालने जा रहे राहुल गांधी के लिए भी यह चुनाव दोहरी परीक्षा है। एक तरफ उन्हें मौजूदा संक्रमण के दौर में पार्टीजनों के बीच भरोसा पैदा करना है तो दूसरी ओर खुद को विपक्ष के वैकल्पिक नेतृत्व के चेहरे के रुप में स्थापित करने की चुनौती।

कांग्रेस नेतृत्व इन सियासी चुनौतियों को देखते हुए ही गुजरात में पूरी ताकत झोंक रहा है। पार्टी का मानना है कि इस लिहाज से गुरदासपुर के नतीजों ने पिछले चार साल से जारी एकतरफा राजनीतिक विमर्श का रुख मोड़ने का मौका दिया है। भले ही यह नतीजा संकेतों से ज्यादा कुछ न हो मगर चुनावी माहौल में उत्साह का रंग भरने के लिए पार्टी की अब तक खाली सियासी तिजोरी में यह एक नगीना तो है ही। पार्टी नेताओं ने इसका असर गुजरात चुनाव पर पड़ने के तत्काल दावे ठोक कांग्रेस के लिए इस नतीजे के मायने साफ कर दिए। 


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