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कांग्रेस व भाजपा की निगाहें निर्दलियों पर

जयपुर, नरेंद्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणाम वैसे तो रविवार को आएंगे लेकिन कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही दलों ने सरकार बनाने को लेकर कसरत तेज कर दी है। कांग्रेस को आशंका है कि इस बार चुनाव परिणाम अलग होंगे और किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसे में निर्दलियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो ज

By Edited By: Published: Sat, 07 Dec 2013 08:40 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2013 08:45 PM (IST)

जयपुर, नरेंद्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणाम वैसे तो रविवार को आएंगे लेकिन कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही दलों ने सरकार बनाने को लेकर कसरत तेज कर दी है। कांग्रेस को आशंका है कि इस बार चुनाव परिणाम अलग होंगे और किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसे में निर्दलियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। इसके मद्देनजर चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने निर्दलियों को अपने पक्ष में करने और अपने विधायकों को एकजुट बनाए रखने के लिए चार हेलीकॉप्टरों का इंतजाम कर लिया है। साथ ही जयपुर के नजदीक दो फार्म हाउस भी तैयार रखे गए हैं।

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सरकार बनाने की जुगत में इन व्यवस्थाओं की जब जरूरत पड़ेगी, उनका इस्तेमाल किया जाएगा।

पता चला है कि इस मुहिम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निकटस्थ कांग्रेसी नेता और कुछ थैलीशाह सक्रिय हैं। चर्चा है कि मतगणना से पहले ही जीत के नजदीकी निर्दलीय प्रत्याशियों और पार्टी नेताओं के बीच सरकार बनने की स्थिति में बड़े पैकेज की डील भी हो चुकी है। कांग्रेस में पूरी कमान मुख्यमंत्री ने संभाल रखी है। राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी और गुरुदास कामत उनका सहयोग कर रहे हैं।

भाजपा की भी रणनीति तैयार

भाजपा हालांकि बहुमत को लेकर अब तक निश्चिंत दिख रही थी, लेकिन स्थिति को मैनेज करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भूपेंद्र यादव गुरुवार शाम जयपुर पहुंच गए। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश भी रविवार सुबह तक जयपुर में होंगे। ये दोनों नेता संघ पृष्ठभूमि के तीन निर्दलीय प्रत्याशियों के संपर्क में है। हालांकि वसुंधरा राजे स्वयं पिछले दो दिन से फोकस उन निर्दलीय प्रत्याशियों पर कर रखा है जिनके जीतने की प्रबल संभावना है। पार्टी का मानना है कि बागी होकर लड़ रहे प्रत्याशी चुनाव जीतने की स्थिति में वापस उनके साथ आ जाएंगे। इनको मनाने का जिम्मा संघ पदाधिकारियों को सौंपा गया है। वहीं प्रदेश के शीर्ष पदाधिकारियों को मतगणना के दौरान बढ़त बनाने वाले निर्दलीय और बागियों को पक्ष में रखकर जयपुर लाने का जिम्मा सौंपा गया है।

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