देश में पहले बच्चे को किए गए सफल लिवर प्रत्यारोपण के पूरे हुए 20 साल
14 नवंबर 2014 को पहले सफल लिवर प्रत्यारोपण पर डाक टिकट जारी किया गया था।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में पहले बच्चे को किए गए लिवर प्रत्यारोपण के 20 साल पूरे हो गए। 20 महीने की उम्र में तमिलनाडु के कांचीपुरम के रहने वाले संजय कंदासामी नामक बच्चे को अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने लिवर प्रत्यारोपण किया था। वह अब 21 साल के हो चुके हैं। इसके साथ ही अब सफल लिवर प्रत्यारोपण भी सामान्य बात हो गई है पर यह सर्जरी अब भी महंगी है। हालांकि अब मरीजों की आर्थिक मदद के लिए अब बड़ी संख्या में लोग आगे आ रहे हैं। इसलिए अपोलो अस्पताल में पिछले दो साल में करीब 50 फीसद मरीजों का लिवर प्रत्यारोपण दान के पैसे से किया गया है।
इलाज का भारी भरकम खर्च लिवर प्रत्यारोपण में नहीं रहा बाधक
अपोलो अस्पताल के मेडिकल निदेशक डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा कि लिवर प्रत्यारोपण पर करीब 18 लाख रुपये खर्च आता है। पिछले दो साल में अस्पताल में 57 मरीजों को लिवर प्रत्यारोपण किया गया है। जिसमें 27 मरीजों का प्रत्यारोपण किसी की आर्थिक मदद से किया गया है। वर्तमान समय में अनेक संस्थाएं मरीजों की मदद के लिए काम कर रही हैं। सोशल मीडिया भी मरीजों के लिए पैसा एकत्रित करने का बड़ा माध्यम साबित हो रहा है।
दिक्कत यह है कि ज्यादातर मरीजों को उपयुक्त डोनर नहीं मिल पाते। यह इलाज में सबसे बड़ा बाधक है। वर्तमान समय में हर साल करीब दो हजार बच्चों व 18,000 हजार वयस्कों को लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। जबकि हर साल करीब 1800 प्रत्यारोपण हो पाता है।
उन्होंने कहा कि 18 नवंबर 1998 को संजय का लिवर प्रत्यारोपण किया गया था। उनके पिता ने उन्हें लिवर दान किया था। लिवर एक ऐसा अंग है जो जीवित व्यक्ति के दान करने पर उसका 90 फीसद हिस्सा करीब 12 सप्ताह में दोबारा वापस विकसित हो जाता है। क्रिकेटर गौतम गंभीर ने ब्रेन डेड डोनर प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने की अपील की।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के प्रबंध निदेशक अशोक बाजपेयी ने कहा कि अब तक 3200 मरीजों को लिवर प्रत्यारोपण किया गया है, जिसमें 10 वयस्क हैं। शेष बच्चे हैं।
मेडिकल में अब खुद करना चाहता हूं चमत्कार: संजय कंदासामी
14 नवंबर 2014 को पहले सफल लिवर प्रत्यारोपण पर डाक टिकट जारी किया गया था। तब संजय कंदासामी ने कहा था कि वह भी मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने पुडुचेरी के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू भी कर दी है। वह तीसरे वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने कहा कि मेडिकल के चमत्कार से मुझे जीवनदान मिला है, इसलिए मैं डॉक्टर बनकर चमत्कार करना चाहता हूं। ताकि जरूरतमंदों की मदद कर सकूं।