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दंगों की आंधी में जलता रहा इंसानी चिराग

जहां सड़कों पर मानवता का खुलेआम कत्लेआम हुआ। हाथ ही नहीं आंखों में भी घृणा के खंजर उभरे दिखे, वहीं अमन के एक फरिश्ते ने मानवता की एक नई इबारत लिख दी। दंगों की तपिश के बीच नफरत की दलदल से उबरते हुए वीरेंद्र ने मुस्लिम समुदाय के लगभग 150 लोगों को अपने ठिकाने पर महफूज रख

By Edited By: Published: Tue, 10 Sep 2013 06:34 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2013 06:36 PM (IST)
दंगों की आंधी में जलता रहा इंसानी चिराग

मुजफ्फरनगर [रवि प्रकाश तिवारी]। जहां सड़कों पर मानवता का खुलेआम कत्लेआम हुआ। हाथ ही नहीं आंखों में भी घृणा के खंजर उभरे दिखे, वहीं अमन के एक फरिश्ते ने मानवता की एक नई इबारत लिख दी। दंगों की तपिश के बीच नफरत की दलदल से उबरते हुए वीरेंद्र ने मुस्लिम समुदाय के लगभग 150 लोगों को अपने ठिकाने पर महफूज रखा।

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इंसानियत की यह इबारत खरड़ गांव में लिखी गई। इस गांव के बीरेंद्र सिंह की जांबाजी का फौजी अफसर भी सलाम कर रहे हैं। दंगा भड़कने की स्थिति में दूसरे संप्रदाय के लगभग डेढ़ सौ लोगों के ऊपर जान की आफत आ गई। चारों ओर कोहराम की बलवती होती सदा के बीच वीरेंद्र इन लोगों की सुरक्षा को आगे आया। कहीं बलवाइयों का आक्रोश इन पर न फूटे, इसकी खातिर बीरेंद्र ने अपने ठिकाने पर इन्हें शरण दी।

पढ़ें: मुजफ्फरनगर हिंसा: 39 की मौत, क‌र्फ्यू में 5.30 बजे तक ढील

हंगामे और हिंसा की खबर पर क्षेत्र में फौज भी गश्त को निकली। किसी तरह फौज को भी इस पूरे घटनाक्रम को सूचना लगी तो शरण लिए संप्रदाय विशेष के लोगों को वहां से निकालकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। इस तरह से एक व्यक्ति की पहल पर न सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों की जान की रक्षा हुई, बल्कि नफरत की आग में इंसानियत की एक फुहार निकली, जो ईष्र्या के माहौल को पाटने में बेहद प्रभावी साबित हो सकती है।

बड़ी नजीर

जिस तरह से खरड़ में एक व्यक्ति ने काम किया है, वह दूसरों के लिए बड़ी नजीर है।

मेजर जनरल वीके यादव, जीओसी-पश्चिम यूपी सब एरिया

बागपत में दो हजार लोगों ने शरण लीबागपत। मुजफ्फरनगर और शामली जनपदों से पलायन कर विशेष समुदाय के दो हजार लोग खुब्बीपुर निवाड़ा गांव में शरण ले चुके हैं इससे गांव का माहौल तनावपूर्ण हो रहा है। दहशत के मारे गांव से दो परिवार पलायन कर चुके हैं। उधर बागपत के दर्जनों गांवों को छोड़कर अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।

मुजफ्फरनगर और शामली में सांप्रदायिक हिंसा के चलते विशेष समुदाय के लोगों का कई दिनों से खुब्बीपुर निवाड़ा गांव में आना जारी है। अब तक इनकी संख्या दो हजार हो चुकी है। राजपाल कश्यप ने बताया कि यह लोग मुजफ्फरनगर और शामली में हुई घटनाओं को बढ़ा चढ़ाकर स्थानीय लोगों की भावनाएं भड़का रहे हैं। डर के मारे उन समेत दो परिवारों के अधिकांश लोग दिल्ली चले गये हैं। सोमवार की रात भी यह लोग लाठी-डंडे लेकर एकत्र हो गये तो निवाड़ा पुलिस चौकी प्रभारी बच्चू सिंह ने फोर्स के साथ पहुंचकर स्थिति संभाली। सीओ बागपत मंशा राम गौतम ने कहा है कि गांव का माहौल खराब नहीं होने देंगे।

उधर बड़ौत क्षेत्र में दो दर्जन गांवों से सैकड़ों लोग रातोंरात जरूरी सामान समेटकर कहीं चले गए। सोमवार रात से लेकर मंगलवार तक रमाला, कंडेरा, जिमाना, सूप, बावली, लौहड्डा, बासौली, लुहारी और आसपास के कई गांवों से सैकड़ों लोग पलायन कर गए।

उधर मंगलवार रात सूप गांव में धार्मिक स्थल के पास हमला होने से दहशतजदा लोग सुबह होते होते गांव छोड़कर भाग गए हैं। पुलिस और प्रशासन मूक दर्शक बना है।

एसपी बागपत लक्ष्मी सिंह कह रही हैं कि लोग अपनी मर्जी से जा रहे हैं और उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है।

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