गर्म हवा और अल नीनो पर निर्भर करेगी आने वाली महंगाई, साल 2023-24 में महंगाई की दर रहेगी कम: वित्त मंत्रालय
गत 10 मार्च को फसल संबंधित मौसम निगरानी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में अब तक गेहूं की फसल पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में जिस तरह ओलावृष्टि और बारिश हुई उसके असर की रिपोर्ट आनी बाकी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई काफी हद तक मौसम की स्थिति खासकर गर्म हवा और संभावित अल नीनो पर निर्भर करेगी। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव और मैन्यूफैक्चरिंग लागत में इस उतार-चढ़ाव के पड़ने वाले असर से भी महंगाई प्रभावित होगी।
पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस वर्ष महंगाई दर रहेगी कम
भविष्य में महंगाई को प्रभावित करने वाली चुनौतियों से निपटने की तैयारी में अभी से जुट गई है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक अब तक तमाम एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई की दर कम रहेगी। इस अवधि में महंगाई 5.0-6.0 के बीच रह सकती है। पिछले दो महीनों से महंगाई की दर छह फीसद से ऊपर चल रही है।
गेहूं की फसल पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा
सोमवार को वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल फरवरी का महीना 1901 के फरवरी माह के बाद सबसे अधिक गर्म रहने के बावजूद रबी फसल बेहतर दिख रही है। गत 10 मार्च को फसल संबंधित मौसम निगरानी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में अब तक गेहूं की फसल पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में जिस तरह ओलावृष्टि और बारिश हुई उसके असर की रिपोर्ट आनी बाकी है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में अल-नीनो की स्थिति में खाद्य पदार्थों के उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जाहिर की गई है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक अल नीनो के आने की संभावना 60 फीसद तक है। अगर ऐसा हुआ तो मानसून से होने वाली बारिश में कमी आएगी और इससे अनाज के उत्पादन व महंगाई पर असर पड़ेगा। हालांकि सरकार ने अपने पुराने अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अभी से इन चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें गेहूं की फसल को बचाने के लिए पैनल का गठन भी शामिल है।
खाद्य पदार्थों की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी: वित्त मंत्रालय
खरीफ फसल के दौरान सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था को लेकर सरकारी विभाग और मंत्रालयों ने सभी राज्यों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। इस दौरान किसानों को सस्ती दरों पर डीजल और बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की तैयारी भी शुरू हो गई है ताकि किसान पानी के पंप को चला सके। वित्त मंत्रालय का मानना है कि खाद्य सुरक्षा को लेकर सरकार के इन प्रयासों से खाद्य पदार्थों की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक आने वाले महीनों में महंगाई वैश्विक वस्तु खासकर कच्चे तेल और धातुओं की कीमतों पर भी निर्भर करेगी। क्योंकि कच्चे तेल व धातुओं की कीमतें विभिन्न कारणों से लगातार ऊपर-नीचे होती रहती हैं। कच्चे तेल में आने वाले समय में नरमी रहने का अनुमान है, लेकिन धातुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। मंत्रालय के मुताबिक लागत में होने वाली बढ़ोतरी का भार खासकर सेवा सेक्टर में खुदरा कीमतों पर डालने से कोर महंगाई पर दबाव बढे़गा।