जागरण संवाददाता, वाराणसी । केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री की तरफदारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इंसाफ और इंसानियत के आधार पर चल रही है, जाति-पंथ और मजहब के आधार पर नहीं। गृहमंत्री ने असहिष्णुता के सवाल पर साहित्यकारों व कलाकारों द्वारा सम्मान वापसी को समझ से परे बताया।

रविवार को अखिल भारतीय विद्वत परिषद के सम्मान समारोह में गृहमंत्री को 'सारस्वत सम्मान' से नवाजा गया। समारोह में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर व बागपत के सांसद सतपाल सिंह सहित 55 विद्वानों को सम्मानित किया गया। इससे पूर्व देशभर में दादरी और कलबर्गी हत्याकांड समेत तमाम मुद्दों पर साहित्यकारों व कलाकारों द्वारासम्मान वापसी के सवाल पर गृहमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि यह सभी मुद्दे राज्य सरकारों के अंतर्गत आते हैं। राज्य सरकारों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इसे रोकने के लिए ठोस व कारगर कदम उठाएं।इन मुद्दों को लेकर सम्मान वापस करना और पीएम के साथ केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना मेरी समझ से परे है। जिन्हें यह लगता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है तो वे लोग सरकार को सुझाव दें ताकि सरकार उस पर गंभीरता से विचार कर सकें।

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गृहमंत्री ने बलपूर्वक कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ बनेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का भी यही अनुमान है। एक सवाल पर गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र में सरकार अच्छा काम कर रही अंतरराष्ट्रीय जगत में भी भारत की छवि बढ़ी है। भारत सशक्त होकर दुनिया के पटल पर उभरा है। आर्थिक विकास दर को भी गति मिली है। वाराणसी में संतों पर लाठीचार्ज को गृहमंत्री ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। कहा कि यहां की स्थिति को सामान्य बनाने के लिए मैने स्थानीय अधिकारियों से बात की थी।

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गृहमंत्री ने छोटा राजन के पकड़े जाने व भारत प्रत्यपर्ण से जुड़े सवाल पर कहा कि वह भारत लाया जा रहा है। दाऊद के सवाल पर कहा कि वह भी जल्द पकड़ा जाएगा। हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा बताने से इनकार किया। सीमा पर फायरिंग की बढ़ती घटना पर कहा कि हम पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं किंतु यदि कोई मुझ पर एक गोली चलाएगा तो फिर इतनी गोलियां चलेंगी कि गिनना मुश्किल हो जाएगा। दिल्ली रवाना होने से पूर्व गृहमन्त्री राजनाथ सिंह ने काशी विश्र्वनाथ मन्दिर, संकटमोचन व कालभैरव मंदिर में दर्शन-पूजन किया। देश के विकास और शान्ति के लिए प्रार्थना की।

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Edited By: Sanjeev Tiwari