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छात्रों को अब झांसा नहीं दे सकेंगे कॉलेज

कॉलेज के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और विभिन्न कोर्स संचालित करने के लिए संबद्धता हासिल किए बगैर छात्रों को प्रवेश देकर उनके भविष्य से खिलवाड़ करना उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए संभव नहीं होगा। न ही एक कॉलेज में तैनात शिक्षक गुपचुप तरीके से दूसरे में भी पढ़ाकर अपनी जेब गर्म कर पाएंगे।

By Edited By: Published: Mon, 12 Aug 2013 07:33 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2013 07:41 PM (IST)
छात्रों को अब झांसा नहीं दे सकेंगे कॉलेज

लखनऊ [राजीव दीक्षित]। कॉलेज के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और विभिन्न कोर्स संचालित करने के लिए संबद्धता हासिल किए बगैर छात्रों को प्रवेश देकर उनके भविष्य से खिलवाड़ करना उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए संभव नहीं होगा। न ही एक कॉलेज में तैनात शिक्षक गुपचुप तरीके से दूसरे में भी पढ़ाकर अपनी जेब गर्म कर पाएंगे।

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शासन को आए दिन शिकायतें मिलती हैं कि एनओसी और संबद्धता हासिल किए बिना कॉलेज ने छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला दे दिया। बाद में जब विश्वविद्यालय उन छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देता है तो कॉलेज प्रबंधन अदालत का दरवाजा खटखटाता है। इसमें पिसते हैं छात्र जिनका भविष्य दांव पर लगा होता है। उच्च शिक्षा विभाग पर मुकदमेबाजी का बोझ अलग से बढ़ता है। कई बार यह भी शिकायतें मिलती हैं कि अमुक शिक्षक गैर कानूनी तरीके से एक से ज्यादा कॉलेज में पढ़ा रहे हैं। कॉलेजों और शिक्षकों के इस गोरखधंधे पर नकेल कसने के लिए उच्च शिक्षा विभाग कारगर उपाय करने जा रहा है।

विभाग प्रदेश के सभी राजकीय, अनुदानित और स्ववित्तपोषित कॉलेजों का पूरा सजरा वेबसाइट पर सार्वजनिक करने की योजना को अमली जामा पहनाने में जुट गया है। इस योजना के तहत प्रदेश के कॉलेजों, उनके प्रबंध तंत्र के सदस्यों के नाम, कॉलेज की जमीन के स्वामित्व का विवरण वेबसाइट पर डाला जाएगा। कॉलेज को कौन-कौन से कोर्स संचालित करने के लिए संबद्धता दी गई है, यह भी प्रदर्शित किया जाएगा। वेबसाइट पर कॉलेज में नियुक्त शिक्षकों और उनकी शैक्षिक योग्यताओं का विवरण होगा। कॉलेज के पिछले तीन वर्षो के परीक्षा परिणाम भी देखे जा सकेंगे। कॉलेज का राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन हुआ है या नहीं, यदि हुआ है तो उसकी ग्रेडिंग क्या है, इसे भी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा।

बकौल सचिव उच्च शिक्षा देवेश चतुर्वेदी, इस कवायद का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्रवेश लेने से पहले छात्र और उनके अभिभावक कॉलेजों की हकीकत जान सकेंगे और दाखिला लेने के बारे में सही फैसला कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि वेबसाइट तैयार करने के बारे में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) से बात चल रही है।

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