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मुर्गों की लड़ाई में गई मुर्गा मालिक की जान, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में हुई अजीब घटना

मुर्गों की लड़ाई में मुर्गे की जान जाने की घटनाएं तो आम हैं लेकिन क्‍या आपने इस लड़ाई में मालिक की जान जाने की घटना सुनी है। पश्चिम बंगाल में एक ऐसी ही अजीब घटना हुई।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 10:54 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 10:54 PM (IST)
मुर्गों की लड़ाई में गई मुर्गा मालिक की जान, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में हुई अजीब घटना
मुर्गों की लड़ाई में गई मुर्गा मालिक की जान, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में हुई अजीब घटना

कोलकाता, जेएनएन। मुर्गों की लड़ाई में मुर्गे की जान जाने की घटनाएं तो आम हैं लेकिन क्‍या आपने इस लड़ाई में मालिक की जान जाने की घटना सुनी है। पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पुरुलिया जिले (Purulia District) में एक ऐसी ही अजीब घटना हुई। पुरुलिया जिले के हुड़ा पालगां इलाके (Huda Palgaon area) में मुर्गों की लड़ाई में एक मुर्गे के मालिक की जान चली गई। आइये बताते हैं कैसे हुआ यह अजीब वाकया...

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बताया जाता है कि इलाके में मुर्गों की लड़ाई का मेला लगा था। दूर-दूर से लोग अपने मुर्गे लेकर पहुंचे थे। हुड़ा इलाके के ही रुद्र गांव का रहने वाला असीम महतो भी अपने मुर्गे के साथ हिस्सा लेने पहुंचा था। उसका मुर्गा लड़ाई में जीत गया। जब असीम विरोधी दल के मरे हुए मुर्गे को कंधे पर लटकाकर ले जा रहा था, उसी समय एक मुर्गे ने असीम के कंधे पर झूल रहे मरे मुर्गे पर अचानक हमला बोल दिया।

प्रत्‍यक्षदर्शियों के मुताबिक, मुर्गे के पैरों में धारदार ब्लेड बंधा हुआ था, जिससे असीम के गले की नली कट गई। गंभीर हालत में उसे पहले स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और वहां से देवन महतो सदर अस्पताल ले जाया गया। लोगों ने बताया कि इस दौरान असीम का काफी खून बह चुका था। आखिरकार सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। अब लोग मेले की अनुमति को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।

उल्‍लेखनीय है कि भारत के कई इलाकों में मुर्गों की लड़ाइयां लगाने का प्रचलन है। पिछले साल अक्‍टूबर महीने में छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर संभाग में मुर्गों की लड़ाइयों में करीब एक करोड़ रुपए के दांव लगाए जाने की खबरें सामने आई थीं। इस बाजार में 20 हजार से ज्यादा आदिवासियों ने भाग लिया था। मुर्गों की लड़ाइयों के लिए चर्चित इस मेले में इसके लिए 15 जगह घेरे बनाए गए थे। हर मैदान पर मुर्गों पर हजारों के दांव लगे थे।


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