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देश के कई राज्यों पर पड़ सकता है कोयले की कमी का असर, रायबरेली में एनटीपीसी की दूसरी इकाई बंद, गहराया संकट

कोयले की देशव्यापी किल्लत और इसकी वजह से बिजली की उपलब्धता में कमी के कारणों में से एक झारखंड के कोयला खदानों से कोयले का उठाव नहीं होना है। इससे भी किल्लत बढ़ी है और संबंधित विद्युत उत्पादक संयंत्रों को अपेक्षित कोयला नहीं मिल पा रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 07:15 AM (IST)
झारखंड के खदानों से कोयले का उठाव न होना भी किल्लत का कारण

जागरण टीम, नई दिल्ली। कोयले की कमी के कारण शनिवार रात रायबरेली के ऊंचाहार स्थित नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) की दूसरी इकाई को भी बंद करना पड़ा। हालांकि, प्रबंधन इसके पीछे मरम्मत कार्य की बात कह रहा है। इससे यहां से बिजली पाने वाले यहां से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तरांचल पर भी असर पड़ना तय है। उधर, झांसी के पारीछा स्थित थर्मल पावर हाउस की चारों यूनिट में से दो बंद चल रही हैं। शेष से आधा उत्पादन भी नहीं हो पा रहा है।

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कोयले की देशव्यापी किल्लत और इसकी वजह से बिजली की उपलब्धता में कमी के कारणों में से एक झारखंड के कोयला खदानों से कोयले का उठाव नहीं होना है। इससे भी किल्लत बढ़ी है और संबंधित विद्युत उत्पादक संयंत्रों को अपेक्षित कोयला नहीं मिल पा रहा है। इसका असर हजारीबाग, चतरा और गिरिडीह स्थित कोयला खदानों पर पड़ रहा है। विस्थापितों का आंदोलन और इसे समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सक्रिय समर्थन से ऐसी नौबत आई है। इस कारण एनटीपीसी की बिहार स्थित बाढ़, बोंगाईगांव, फरक्का, कहलगांव, नवीनगर, कांटी, बरौनी, रिहंद, ऊंचाहार, टंडा, दादरी, सोलापुर, कोरबा, तालचर समेत अन्य परियोजनाएं प्रभावित हैं।

1550 की जगह 779 मेगावाट का ही उत्पादन

ऊंचाहार एनटीपीसी परियोजना 1550 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली है। दो इकाइयों के बंद होने से अब महज 779 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। कोयला संकट के कारण गुरुवार को सबसे अधिक विद्युत उत्पादन वाली छठी इकाई को बंद कर दिया गया था। अन्य इकाइयों को आधे से कम भार पर चलाया जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक, पिछले दो दिन से परियोजना में कोयले की एक भी रैक नहीं आई तो प्रबंधन ने दूसरी इकाई को भी बंद करने का निर्णय लिया। हालांकि, कुछ ही देर बाद कोयले की दो रैक आई। वैसे यहां सभी छह इकाइयों को चलाने के लिए 24 घंटे में 30 हजार मीट्रिक टन (एमटी) कोयले की खपत होती है, लेकिन इस समय दो-तीन दिन के अंतराल में आठ से 10 हजार टन आपूर्ति ही हो पा रही है।

पंजाब में आधी क्षमता पर चले थर्मल प्लांट

कोयले की कमी के कारण पंजाब में दूसरे दिन भी थर्मल प्लांट आधी क्षमता पर ही चल पाए। कम बिजली उत्पादन के कारण बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पावरकाम) ने भले ही अन्य कंपनियों से बिजली की खरीद की, परंतु इसके बावजूद विभिन्न जिलों में लोगों को दो से चार घंटे तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा। यह सिलसिला बुधवार तक जारी रह सकता है। पावरकाम ने लोगों से जरूरत के अनुसार बिजली इस्तेमाल करने की अपील फिर से दोहरायी है।

जम्मू-कश्मीर में अघोषित कटौती

जम्मू-कश्मीर में पांच से छह घंटे की अघोषित कटौती हो रही है। कटौती किसी भी जिले में लगातार एक घंटे से ज्यादा नहीं होती।

मप्र में कोई घोषित कटौती नहीं

मध्य प्रदेश में वर्तमान में कोई घोषित कटौती नहीं की जा रही है। रविवार को प्रदेश के चारों थर्मल पावर प्लांट में दो लाख 27 हजार 727.67 टन कोयले का भंडार रहा। इससे तीन दिन तक संयंत्र चल सकते हैं।

दिल्ली में कोई दिक्कत नहीं

दिल्ली में बिजली की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं है। रविवार को 4000 से 4400 मेगावाट बिजली की मांग रही। दिल्ली के बाहर के संयंत्रों से 3550 सौ मेगावाट तक और दिल्ली के संयंत्रों से 950 मेगावाट के करीब बिजली की आपूर्ति की गई।

छत्तीसगढ़ में दो इकाइयां बंद

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी (सीएसईबी) की कोरबा जिले में स्थित मड़वा प्रोजेक्ट की 500 मेगावाट व हसदेव ताप विद्युत संयंत्र (एचटीपीपी) की 210 मेगावाट की इकाइयां बंद हो गई हैं। कोयले की किल्लत के चलते कुछ इकाइयों में उत्पादन भी घटाना पड़ा है। इसकी वजह से 3,000 मेगावाट की जगह वर्तमान में 2,100 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। मड़वा में पांच दिन व एचटीपीपी में केवल तीन दिन का कोयला बचा है।

पारीछा थर्मल पावर हाउस परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक मनोज सचान ने बताया कि उम्मीद है कि 15 अक्टूबर तक कोयले की आपूर्ति पूरी क्षमता से होने लगेगी। तब संभवत: हम अपनी चारों यूनिट एक बार फिर से शुरू कर सकेंगे।


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