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उत्तराखंड में कुदरत का कहर, 26 मरे

उत्तराखंड में गुरुवार रात दो स्थानों पर बादल फटने की घटनाओं में 26 लोग मारे गए। रुद्रप्रयाग जिले की ऊखीमठ तहसील के पांच गांव मध्य रात्रि के बाद आपदा के कहर से तबाह हो गए। यहां पर बादल फटने के बाद आए उफान में 22 लोग मारे गए, जबकि 40 से ज्यादा लोग लापता हैं। 20 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें 12 की दशा गंभीर है। तीन दर्जन से ज्यादा मकान जमींदोज हो गए हैं जबकि करीब सौ मकानों में दरारें आ गई हैं। राहत कार्य में सेना सक्रिय हो गई है। उसके हेलीकॉप्टरों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। बागेश्वर के कपकोट व गरुड़ में गुरुवार रात बादल फटने की एक अन्य घटना में चार लोगों के मरने और इतने के ही लापता होने की खबर है। यहां भी काफी नुकसान हुआ है।

By Edited By: Published: Fri, 14 Sep 2012 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2012 08:06 PM (IST)
उत्तराखंड में कुदरत का कहर, 26 मरे

रुद्रप्रयाग [जागरण संवाददाता]। उत्तराखंड में गुरुवार रात दो स्थानों पर बादल फटने की घटनाओं में 26 लोग मारे गए। रुद्रप्रयाग जिले की ऊखीमठ तहसील के पांच गांव मध्य रात्रि के बाद आपदा के कहर से तबाह हो गए। यहां पर बादल फटने के बाद आए उफान में 22 लोग मारे गए, जबकि 40 से ज्यादा लोग लापता हैं। 20 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें 12 की दशा गंभीर है। तीन दर्जन से ज्यादा मकान जमींदोज हो गए हैं जबकि करीब सौ मकानों में दरारें आ गई हैं। राहत कार्य में सेना सक्रिय हो गई है। उसके हेलीकॉप्टरों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। बागेश्वर के कपकोट व गरुड़ में गुरुवार रात बादल फटने की एक अन्य घटना में चार लोगों के मरने और इतने के ही लापता होने की खबर है। यहां भी काफी नुकसान हुआ है।

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ऊखीमठ तहसील मुख्यालय से सटे मंगोली व ब्राह्मण खोली गांव के ऊपर मध्य रात्रि के बाद बादल फटने की घटना हुई। इससे पहाड़ी का मलबा पानी के साथ चुन्नी, मंगोली, ब्राह्मण खोली, किमाणा के साथ ही गिरिया मनूसना गांव में आ आया। इससे ग्रामीणों में चीख-पुकार मच गई और वे बदहवास होकर जान बचाने के लिए भागने लगे। इस दौरान कुछ मकान जमींदोज हो गए, जो लोग उनसे निकल नहीं पाए-उनकी उन्हीं में फंसकर जान चली गई या फिर वे बुरी तरह घायल हो गए। प्रभावित गांवों को ऊखीमठ तहसील से जोड़ने वाली चार सड़कें, पांच पैदल पुलों के साथ ही 52 मवेशी भी आपदा की भेंट चढ़ गए। बिजली-पानी व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई है। भूस्खलन के कारण ऋषिकेश-बद्रीनाथ और ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग बंद हो गया है।

डीएम नीरज खैरवाल और एसपी बीएस कार्की शुक्रवार को दोपहर 12 बजे हेलीकॉप्टर से ऊखीमठ पहुंचे। तब उन्होंने घायलों को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचवाया। सेना का 60 सदस्यीय दल दोपहर बाद प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच गया। मेजर जेपीएस ठाकुर ने बताया कि इसमें मेडिकल टीम भी है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राहत कार्यो के लिए दस करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है।

बारिश का चरम रूप है बादल फटना

देहरादून। बादल फटने की घटना मौसम में होने वाला एक प्रकार का बदलाव है। सीधे शब्दों में कहें तो बादल फटना बारिश का चरम रूप है। राज्य मौसम केंद्र के निदेशक डॉ.आनंद शर्मा के मुताबिक थोडे़ समय में एक छोटे से क्षेत्र में तेज मूसलाधार बारिश होना ही बादल फटना अथवा मेघ विस्फोट का नतीजा कहा जाता है।

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक प्रति घंटे सौ मिलीमीटर के बराबर या उससे अधिक बारिश होने की घटना बादल फटना है। ऐसा तब होता है, जब भारी मात्रा में आ‌र्द्रता अर्थात पानी लिए बादलों की राह में कोई बाधा आने पर उनमें तेज टकराव होता है, इससे बड़ी मात्रा में पानी वर्षा के रूप में नीचे आता है। यह स्थिति अक्सर बादलों से गर्म हवा के टकराने से पैदा होती है।

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