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स्वच्छता अभियान तभी पूरी तरह सार्थक होगा जब कचरों को वैज्ञानिक ढंग से ठिकाने लगाया जाएगा

अगर हम विदेशों की तर्ज पर स्वच्छता रखने और गंदगी न फैलाने संबंधी कुछ कठोर नियम बना सकें तो स्वच्छ भारत अभियान को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:56 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 09:00 AM (IST)
स्वच्छता अभियान तभी पूरी तरह सार्थक होगा जब कचरों को वैज्ञानिक ढंग से ठिकाने लगाया जाएगा

देवेंद्रराज सुथार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का उद्घाटन किया है। महात्मा गांधी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में दिया गया नारा अंग्रेजों भारत छोड़ो की तर्ज पर पीएम मोदी ने गंदगी भारत छोड़ो का नया नारा दिया है। दरअसल स्वच्छता अभियान के बावजूद हमारा देश अन्य देशों की तुलना में बहुत गंदा है। विश्व के अन्य देशों में स्वच्छता की ऐसी कोई मुहिम नहीं चलाई गई है। इसके बावजूद वे भारत से अधिक स्वच्छ हैं।

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विदेशों में न तो कभी भारतीय सड़कों की तरह कोई झाडू लगाता दिखाई देता है और न ही वहां की महत्वपूर्ण हस्तियां हाथ में झाडू लिए स्वच्छता अभियान का प्रसार करती दिखती हैं। फिर भी उनके साफ रहने के पीछे रहस्य क्या है? इसका उत्तर उन देशों के नागरिकों के चरित्र में बहुत कम उम्र से जमी हुई स्वच्छता बनाए रखने की भावना है। हमारे बहुत से सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न फैलाएं का बोर्ड लिखा देखा जा सकता है। इसके बाद भी वह स्थान गंदगी से भरा होता है।

इसका कारण यही है कि आज तक हमारे नेताओं ने गंदगी न फैलाने का आह्वान कभी नहीं किया। लोग तो सार्वजनिक स्थानों को गंदा करना अपना अधिकार समझते हैं और इसे साफ करना सफाई कर्मचारियों का काम समझा जाता है। सड़क के किनारे बनी नालियों में अपने घर और दुकान का कचरा डालने से पहले कोई नहीं सोचता कि कल को यही कचरा उस नाली को यदि जाम कर दे तो बरसात में गंदा पानी उनके घर के बाहर बहता दिखाई देगा। दरअसल कूड़े का ढेर न लगाएं या कचरा इधर-उधर न डालें जैसे नारे जगह-जगह लिखे जाने चाहिए।

स्वच्छता अभियान से पहले गंदगी न करने का अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। विदेशों में गंदगी फैलाना अपराध की श्रेणी में आता है। इस पर दंड भी दिया जाता है। अपने घर के आसपास कुछ निश्चित सीमा तक सफाई रखने का काम नागरिकों के जिम्मे है। स्वच्छ भारत अभियान का पूरा ध्यान फिलहाल गंदगी न फैलाने पर होना चाहिए। कूड़ेदान की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और इन्हें नियम से नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा साफ किया जाना चाहिए।

अगर हम विदेशों की तर्ज पर स्वच्छता रखने और गंदगी न फैलाने संबंधी कुछ कठोर नियम बना सकें तो स्वच्छ भारत अभियान को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। कचरे का अगर सही प्रबंधन किया जाए तो इससे लाभ भी मिल सकता है। यदि हम कचरे का ठीक से निपटारा करें तो इतने कचरे से 27 हजार करोड़ रुपये की खाद पैदा की जा सकती है। 45 लाख एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ खेतों में बदला जा सकता है। 50 लाख टन अतिरिक्त अनाज पैदा करने की क्षमता हासिल की जा सकती है। और दो लाख सिलेंडरों के लिए अतिरिक्त गैस हासिल की जा सकती है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


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