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75 रूटों पर स्वच्छ बस सेवाएं करेंगी प्रदूषण से मुकाबला

निजी वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित कर सार्वजनिक व निजी बसों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 26 Dec 2017 10:25 PM (IST)Updated: Tue, 26 Dec 2017 10:25 PM (IST)
75 रूटों पर स्वच्छ बस सेवाएं करेंगी प्रदूषण से मुकाबला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी लाने के लिए सरकार प्रमुख शहरों के बीच सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की बड़ी योजना पर काम कर रही है। इसके तहत निजी वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित कर सार्वजनिक व निजी बसों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।

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अभी सार्वजनिक बस सेवाओं की कमी व दुर्दशा के कारण ज्यादातर लोग लंबी दूरी के यातायात के लिए भी व्यक्तिगत वाहनों का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। इससे पेट्रोल व डीजल की खपत के साथ-साथ वायु प्रदूषण में भी बढ़ोतरी होती है। सरकार इस स्थिति को बदलकर सार्वजनिक परिवहन, खासकर सीएनजी व इलेक्टि्रक बसों को बढ़ावा देना चाहती है।

प्रमुख नगरों के बीच चलने वाले निजी व सार्वजनिक वाहनों की संख्या जानने को सरकार ने पिछले वर्ष विश्व बैंक की मदद से एक अध्ययन कराया था। इसमें 75 ऐसे रूटों की पहचान की गई है जिन पर सार्वजनिक व निजी बसों के मुकाबले निजी कारों का अत्यधिक संचालन होता है। ऐसे रूटों में दिल्ली-शिमला, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-आगरा-लखनऊ, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-हिसार, श्रीनगर-जालंधर, लुधियाना-कुरुक्षेत्र, अमृतसर-बीकानेर, पटियाला-बठिंडा, झांसी-कानपुर-लखनऊ, लखनऊ-गोरखपुर,लखनऊ-इलाहाबाद, अलीगढ़-कानपुर, इलाहाबाद-कानपुर, तथा कानपुर-मथुरा तथा आगरा-जयपुर रूट शामिल हैं।

इनके अलावा गोरखपुर-मुजफ्फरपुर, धनबाद-वाराणसी, पटना-मुजफ्फरपुर, कोलकाता-दुर्गापुर, उज्जैन-भोपाल, भोपाल-देवास-इंदौर, ग्वालियर-झांसी-सागर, ग्वालियर-भोपाल, सागर-वाराणसी, जयपुर-उज्जैन, अहमदाबाद-उदयपुर, उदयपुर-अजमेर, नासिक-पुणे, नागपुर-रायपुर, रायपुर-भुवनेश्वर, नागपुर-हैदराबाद, हैदराबाद-बंगलूर तथा रायपुर-विशाखापत्तनम के रूटों पर भी निजी कारें ज्यादा चलती हैं, जबकि सार्वजनिक व निजी बसों का अभाव है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 'पैसेंजर मोबिलिटी एन्हांसमेट' के तहत कराए गए सर्वेक्षण में रूटों का चयन करने के लिए अखिल भारतीय यातायात सर्वेक्षण के अलावा इन राजमार्गो पर स्थित टोल बूथों से गुजरने वाली बसों तथा कारों के आंकड़े जुटाए गए।

भारत में सड़क पर होने वाला तकरीबन 85 फीसद सड़क यातायात एक शहर से दूसरे शहर जाने अथवा शहर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए होता है। इसमें से 65 फीसद यातायात सार्वजनिक या निजी बसों से होता है। इसमें भी राज्य परिवहन निगमों द्वार संचालित सार्वजनिक बसों की हिस्सेदारी मात्र 8-10 फीसद है। जबकि बाकी पर निजी बसों और व्यक्तिगत कारों का वर्चस्व है। परिवहन निगमों की ज्यादातर बसें अलाभप्रद रूटों पर चलती हैं। जबकि लाभप्रद रूटों पर प्राय: निजी बसों का कब्जा है। राज्य परिवहन निगमों के घाटे की ये प्रमुख वजह है। इसके बावजूद ये बसें हर साल तकरीबन 7 करोड़ यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहंुचाती हैं।


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