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भ्रष्टाचार का सफाई अभियान: नौकरी से बाहर किए जा चुके हैं 1 लाख से अधिक भ्रष्‍ट कर्मी

भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने मुहिम शुरू कर दी है और इसमें अनेक राज्य सरकारों का भी सहयोग मिल रहा है। वैसे इस राह में चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 10:47 AM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 10:47 AM (IST)
भ्रष्टाचार का सफाई अभियान: नौकरी से बाहर किए जा चुके हैं 1 लाख से अधिक भ्रष्‍ट कर्मी
भ्रष्टाचार का सफाई अभियान: नौकरी से बाहर किए जा चुके हैं 1 लाख से अधिक भ्रष्‍ट कर्मी

अनंत मित्तल। देश भर में भ्रष्टाचार पर केंद्र सरकार कड़ी चोट करती दिख रही है। अनेक पूर्व मंत्रियों एवं अधिकारियों की जांच तेज करने तथा कुछ को पकड़ने के कारण सरकार पर राजनीतिकरण के आरोप भी लग रहे हैं। राज्य सरकारों ने भी भ्रष्ट नौकरशाहों पर लगाम कसनी शुरू की है। कर प्रशासन से जुड़े 76 अफसरों को सेवाकाल पूरा होने से पहले ही जनहित के मौलिक नियम 56 (जे) के तहत सेवानिवृत्त किया गया है। इनमें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के 22 अधिकारी, वरिष्ठ भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) के 27 अधिकारी और कर विभाग के 27 अधिकारी शामिल हैं। इनमें ज्यादातर भ्रष्टाचार, घूसखोरी, करदाताओं के उत्पीड़न तथा यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए। अनेक आइएएस तथा आइपीएस अधिकारी भी केंद्र सरकार की निगरानी में हैं।

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एक लाख से ज्‍यादा भ्रष्‍ट कर्मी किए गए बाहर 

केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार जुलाई 2014 से लेकर मई 2019 तक ग्रुप एक के कुल 36,756 और ग्रुप बी के 82,654 अफसरों के कामकाज की समीक्षा के बाद 312 कर्मचारियों को भ्रष्ट और अक्षम सिद्ध होने पर सेवानिवृत्त किया जा चुका। प्रत्यक्ष कार्रवाई के अलावा केंद्र सरकार ने देश के सभी मंत्रालयों, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य विभागों से भ्रष्ट और नकारा कर्मचारियों की सूची भी मांगी है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को चार महीने से 79 भ्रष्ट सरकारी अफसरों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है। सीवीसी के मुताबिक, कुल 41 मामले सरकारी विभागों से मंजूरी के अभाव में लंबित हैं।

यूपी में ऑपरेशन क्‍लीन

उत्तर प्रदेश सरकार ने 417 भ्रष्ट कर्मचारियों की वेतनवृद्धि व पदोन्नति रोकने तथा पदावनत करने के साथ कड़ी चेतावनी दी है। जबकि 201 कर्मचारियों को सेवानिवृत्त किया जा चुका है। पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की स्क्रीनिंग जारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस समेत सभी विभागों के अफसरों को सुबह नौ बजे तक कार्यालय पहुंचने और उसमें चूक पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दिल्ली में भी उपराज्यपाल ने पुलिस आयुक्त, मुख्य सचिव, दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और दिल्ली के तीनों निगम आयुक्तों को भ्रष्ट अधिकारियों को सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया है। लापरवाह व भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर कर एफआइआर भी दर्ज होगी।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा कुख्यात व्यापमं घोटाले में 1,200 से ज्यादा शिकायतों की जांच की जा रही है। करीब 500 लोगों पर 100 एफआइआर दर्ज कराने की तैयारी है। एसटीएफ कई पूर्व मंत्रियों, आइएएस और आइपीएस अफसरों की जांच कर रही है। बिहार में नीतीश सरकार ने भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त करके उनमें स्कूल आदि खुलवाने की पहल की है। जम्मू-कश्मीर में जिन अफसरों की संपत्ति आय से अधिक निकलेगी उन पर कार्रवाई होगी। अफसरों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा राज्यपाल सत्यपाल मलिक को दिया है। कुछ अफसरों के बारे में गोपनीय सूचना के आधार पर राजभवन शिकंजा कसेगा, जैसे जम्मू-कश्मीर बैंक के अध्यक्ष परवेज अहमद को छापामारी के बाद भ्रष्टाचार में गिरफ्तार किया गया है।

हरियाणा

हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो ने अक्टूबर 2014 से सितंबर 2018 के दौरान 542 मामले दर्ज किए। कुल 338 जांच निपटा कर 62 राजपत्रित अधिकारी, 58 गैर राजपत्रित अधिकारी व 74 कर्मचारी और 119 जांचों में कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए 54 आपराधिक मामलों की सिफारिश की गई। अन्य 18 जांच में आपराधिक और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश है। जांच सहित 530 आपराधिक मामले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज किए। ब्यूरो द्वारा मारे गए 426 छापों में 40 राजपत्रित अधिकारी, 411 गैर राजपत्रित अधिकारी और 57 अन्य व्यक्तियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। ब्यूरो की तकनीकी शाखा ने पूरे राज्य में 362 आकलन किए और 14.45 करोड़ रुपये से अधिक वसूली के साथ विभिन्न विभागों के 552 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की। अदालतों ने 139 मामलों में 152 अधिकारियों व कर्मचारियों और 47 निजी व्यक्तियों को दोषी ठहरा कर पांच वर्ष तक कैद की सजा सुनाई है।

उत्तराखंड

उत्तराखंड में भी आधा दर्जन आइपीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर करने के लिए प्रदेश सरकार के आला अफसरों की कमेटी विचार कर रही है। कामचोर अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दे रहे हैं। भ्रष्टाचार पर कड़े वार का अनेक वरिष्ठ लोकसेवकों ने स्वागत किया है। अनेक सरकारी अफसर चाहते हैं कि भ्रष्टों को बाहर किया जाए ताकि नए अफसर खुली हवा में काम करके नई कार्य संस्कृति का आगाज कर सकें। यूपी आइएएस एसोसिएशन ने कभी उत्तर प्रदेश की मुख्य सचिव नीरा यादव को सबसे भ्रष्ट अफसर घोषित करने का साहस दिखाया था। छत्तीसगढ़ में आइएएस बीएल अग्रवाल और उनके मध्य प्रदेश के सहयोगी टीनू जोशी- अरविंद जोशी आइएएस दंपति के पास 350 करोड़ रुपये की काली संपत्ति पकड़ी गई थी। उसके बावजूद मध्य प्रदेश में व्यापमं जैसा घोटाला हुआ।

जबरदस्त चुनौती

आइएएस-आइपीएस और केंद्र तथा राज्यों के अन्य सर्विस काडरों के काले कारनामों पर गोपनीयता की इतनी मजबूत चारदीवारी है जिसे भेदना किसी सरकार के लिए मुमकिन नहीं हुआ। इसकी पुष्टि 1990 के दशक में नेताओं- नौकरशाहों- करचोरों और अपराधियों के गठजोड़ को उजागर करने वाली एनएन वोहरा की रिपोर्ट से भी हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस खतरनाक गठजोड़ को तोड़ने और भाजपा सहित सभी दलों के भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों को पकड़ कर सार्वजनिक जीवन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की जबरदस्त चुनौती है। देखना यही है कि प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर संविधान को माथा नवाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार मिटाने और केंद्र व राज्यों की भाजपा सरकारों को संविधान के अनुरूप ‘जनता की, जनता के द्वारा और जनता के लिए’ ढालने में कितने कामयाब होंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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