मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की युवा वकीलों को सलाह, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में काम करने से पहले ट्रायल कोर्ट में करें प्रैक्टिस
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने युवा वकीलों को सलाह दी है कि वे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकालत करने से पहले ट्रायल कोर्ट में जाकर काम करें। उन्होंने कानून (विधि) के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को और प्रयोगात्मक बनाए जाने पर जोर दिया।
हैदराबाद, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कानून (विधि) के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को और प्रयोगात्मक बनाए जाने पर जोर दिया है। कहा है कि देश के ला ग्रेजुएट (वकील) कानूनी मुश्किलों का समाधान सैद्धांतिक आधार पर ढूंढ़ने के अभ्यस्त हो चुके हैं जिससे कई बार मुश्किलें बढ़ जाती हैं। इसलिए उन्हें समस्याओं के समाधान में व्यावहारिक नजरिया भी पैदा करना चाहिए। नलसार ला यूनिवर्सिटी के 18 वें दीक्षा समारोह में मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कानून की पढ़ाई का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जिससे छात्रों को लोगों की मूलभूत समस्याओं की जानकारी मिले।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून की पढ़ाई का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए ताकि छात्र जान सकें कि समस्याओं के जमीनी कारण क्या होते हैं। इससे वे ज्यादा व्यावहारिक होकर लोगों को न्याय दिलाने में सक्षम होंगे। नेशनल ला स्कूलों के छात्रों में जनहित के मामलों में कम रुचि पर निराशा जाहिर करते हुए जस्टिस रमना ने कहा, वे अधिवक्ता बनकर केवल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकालत करना चाहते हैं। उनकी रुचि ट्रायल कोर्ट में जाकर कार्य करने की नहीं होती है। इससे वे निचले स्तर पर चलने वाली न्याय प्रक्रिया में शामिल होने से वंचित रह जाते हैं। इससे समाज का भी नुकसान होता है।
ला ग्रेजुएट से ट्रायल कोर्ट में कार्य करने का अनुरोध करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उसके बाद वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कार्य करें। इससे वे बेहतर अधिवक्ता बन पाएंगे और सही मायनों में हितकारी कानून के जानकार बन पाएंगे। इससे न्यायालयों में लंबित मुकदमों की संख्या भी कम होगी।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने रविवार को वारंगल में एक अदालत परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ज्यूडीशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशनकी स्थापना और कोविड के कारण आजीविका खोने वाले वकीलों को वित्तीय मदद दिए जाने जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार का जवाब आना बाकी। मैंने सरकार से उन वकीलों के परिजनों को आर्थिक मदद देने की अपील की जिन्होंने कोविड के कारण अपनी आजीविका खो दी है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में ज्यूडीशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशन बनाने के लिए एक कानून लाएगी।