भारतीय न्यायपालिका के लिए क्या हैं नई चुनौतियां? सीजेआइ एनवी रमना ने बताया
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना ने रविवार को कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रभावी ढंग से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने पांचवां स्वर्गीय श्री लवू वेंकटेश्वरलु बंदोबस्ती व्याख्यान देते समय यह टिप्पणी की ।
विजयवाड़ा, आइएएनएस। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना ने रविवार को कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रभावी ढंग से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने पांचवां स्वर्गीय श्री लवू वेंकटेश्वरलु बंदोबस्ती व्याख्यान देते समय यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में न्यायिक अधिकारियों पर हमले बढ़े हैं। कई बार अनुकूल आदेश नहीं मिलने पर प्रिंट और सोशल मीडिया में जजों के खिलाफ ठोस अभियान भी चलाए जाते हैं। ये हमले प्रायोजित और समकालिक प्रतीत होते हैं।
सीजेआइ रमना ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों, खास तौर पर विशेष एजेंसियों को ऐसे दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब तक न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करता और आदेश पारित नहीं करता, अधिकारी आमतौर पर जांच को लेकर आगे नहीं बढ़ते हैं। सरकारों से एक सुरक्षित वातावरण बनाने की अपेक्षा की जाती है, ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी बगैर किसी डर के काम कर सकें।
जस्टिस रमना ने मीडिया ट्रायल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे मामलों का फैसला इनके आधार पर नहीं हो सकता। एक अन्य पहलू जो न्यायपालिका की निष्पक्ष कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता को प्रभावित करता है, वह है मीडिया ट्रायल की बढ़ती संख्या है। नए मीडिया टूल्स में विस्तार की क्षमता है, लेकिन ये सही और गलत अच्छे और बुरे और असली और नकली के बीच अंतर करने में असमर्थ प्रतीत होते हैं।
सीजेआइ रमना ने न्यायपालिका के सामने चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि जैसे-जैसे देश एक लोकतंत्र के रूप में आगे बढ़ता है, संविधान परिवर्तन के लिए पर्याप्त स्थान बनाता है। न्यायमूर्ति रमना ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती को हल करने के लिए अनुकूलन और लचीला होना चाहिए। न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सरकार की सराहना करते हुए सीजेआइ ने न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति के दावों को खारिज कर दिया।