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    EWS Reservation: जस्टिस यूयू ललित कल होंगे रिटायरमेंट, आज आखिरी दिन देंगे 6 बड़े फैसले, जानें- क्या है मामला

    Supreme Court CJI UU Lalit अपने अंतिम कार्य दिवस में जस्टिस यूयू ललित छह मामलों पर फैसला सुनाएंगे। इसमें सबसे बड़ा मामला सामान्य वर्ग के आर्थिक गरीब (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण का है। जिस पर सुप्रीम की बड़ी पीठ ने फैसला सुना दिया।

    By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 12:09 PM (IST)
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    जस्टिस उदय उमेश ललित का सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आखिरी दिन है।

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित का सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आखिरी दिन है। वे छह अहम मामलों में फैसला सुनाएंगे। आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उनकी जगह आठ नवंबर को ही दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।

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    आज अपने अंतिम कार्य दिवस में जस्टिस यूयू ललित छह मामलों पर फैसला सुनाएंगे। इसमें सबसे बड़ा मामला सामान्य वर्ग के आर्थिक गरीब (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण का है। इस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। वहीं दूसरा मामला आम्रपाली आवासीय योजना से जुड़ा है। इसमें आवंटियों को फ्लैट दिलवाने या उसके बदले पैसे दिलवाने पर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुनाने वाला है। वहीं अन्य चार मामले सामान्य हैं।

    EWS आरक्षण पर को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक माना

    EWS आरक्षण पर सरकार का संशोधन बरकरार रहेगा। दरअसल, इसकी वैधता पर पांच जजों ने फैसला सुनाया है, जिसमें सीजेआई सहित चार जज EWS आरक्षण के पक्ष में हैं, जबकि पांचवें जज की राय अभी आना बाकी है। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने भी EWS आरक्षण को सही करार दिया है। उन्होंने जस्टिस माहेश्वरी से सहमति जताई है। जस्टिस माहेश्वरी ने EWS आरक्षण को संवैधानिक करार दिया और कहा कि ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। ईडब्ल्यूएस पर आरक्षण भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्राप्त करने से वर्गों का बहिष्कार, समानता का उल्लंघन नहीं है।

    यह भी पढ़ेंः देश में जारी रहेगा ईडब्ल्यूएस आरक्षण, सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

    आम्रपाली आवासीय योजना मामले में सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट आज आम्रपाली आवासीय योजना से जुड़े मामले में सुनवाई करने वाला है। यह फैसला आवंटियों को फ्लैट या उसके बदले पैसे दिलवाने को लेकर आना है।

    हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाईकोर्ट के फैसले को पलटा

    झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है। लीज आवंटित करने और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनी में निवेश करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जनहित याचिका मेंटनेबल नहीं है। हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को मेंटेनेबल माना था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को हेमंत सोरेन और राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    सीजेआई की अध्यक्षता वाली सेरेमोनियल पीठ की कार्यवाही

    आखिरी कार्य दिवस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीजेआई की अध्यक्षता वाली औपचारिक सेरेमोनियल पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, दोपहर दो बजे के बाद सेरेमोनियल बेंच की कार्यवाही शुरू होगी। इसमें जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शामिल होंगे। बता दें, सेरेमोनियल बेंच में भारत के मुख्य न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी के साथ पीठ साझा करते हैं। इस दौरान बार के अन्य सदस्य व अन्य अधिकारी उन्हें विदाई देते हैं।

    लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत पर सुनवाई

    लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत पर आज सुनवाई हो सकती है। आशीष मिश्रा पर हिंसा के दौरान 8 लोगों की हत्या का आरोप है। इससे पहले हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 26 जुलाई को तिकुनिया कांड मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों को देखते हुए आशीष को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।

    अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव के मामले में सुनवाई

    अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले में आज फैसला आ सकता है। नारायण पर एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म का आरोप है। उन पर तस्करी के भी आरोप लगे हैं। इस मामले पर पोर्ट ब्लेयर पीठ ने उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था, जिसके खिलाफ प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

    जस्टिस ललित का 72 दिन का कार्यकाल

    जस्टिस ललित का कार्यकाल 72 दिनों का रहा। जिस निर्णय के लिए जस्टिस ललित अधिक जाने जाएंगे वह है रजिस्ट्री को दुरुस्त करना, केसों के सूचीबद्ध करने की व्यवस्था में परिवर्तन और कोलेजियम (उच्च न्यायपालिका में जजों के चयन मंडल) की कार्यशैली में पारदर्शिता लाना। उन्होंने कोलेजियम के फैसले सार्वजनिक किए जो अब तक नहीं किए जा रहे थे। केस को नए सिरे से सूचीबद्ध करने का कुछ मौजूदा जज ने खुली कोर्ट में विरोध भी किया और कहा कि नई प्रणाली से उन्हें नए केसों की सुनवाई का समय नहीं मिल पा रहा है।