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केंद्रीय सूचना आयोग ने सीबीआइ से पूछा, बताएं- माल्या के खिलाफ किन नियमों के तहत जारी किए लुक आउट नोटिस

केंद्रीय सूचना आयोग यानी सीआइसी ने सीबीआइ से पूछा है कि बताएं भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ अक्टूबर और नवंबर 2015 में दो अलग-अलग लुक आउट सर्कुलर किन नियमों के तहत जारी किए गए थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 05:53 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 06:12 PM (IST)
केंद्रीय सूचना आयोग सीबीआई से विजय माल्‍या के मामले में तल्‍ख सवाल पूछे हैं...

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission, यानी CIC) ने केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) से कहा है कि वह उन नियमों के बारे में बताए जिनके तहत विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ अक्टूबर और नवंबर 2015 में दो अलग-अलग लुक आउट सर्कुलर जारी किए गए थे। सूत्रों ने बताया था कि सीबीआई ने साल 2015 के नवंबर के अंतिम हफ्ते में भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ नया लुक आउट नोटिस जारी किया था। इस लुक आउट नोटिस में देश भर के हवाई हड्डा अधिकारियों से कहा गया था कि जैसे ही माल्या नजर आए उसे सूचित कर दिया जाए। 

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दरअसल, पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता विहार धुर्वे (Vihar Durve) ने केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission, CIC) से उक्‍त जानकारी मांगी है जिस पर उक्‍त निर्देश जारी हुए हैं। सीबीआई ने धुर्वे को सूचना देने से इनकार कर दिया था। सीबीआई ने आरटीआई कानून की धारा 8(1) (एच) के तहत धुर्वे (Vihar Durve) को सूचना देने से मना किया था। केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission, CIC) ने सीबीआई को निर्देश दिया कि उन नियमों के बारे में बताया जाए जिसके तहत साल 2015 के अक्टूबर और नवंबर लुक आउट सर्कुलर यानी एलओसी (Look out circulars, LOCs) जारी किए गए थे। 

विजय माल्या (Vijay Mallya) नौ हजार करोड़ रुपये के कर्ज धोखाधड़ी मामले का आरोपी है। विजय माल्या मार्च 2016 में ही ब्रिटेन भाग गया था। मौजूदा वक्‍त में वह ब्रिटेन सरकार (British Government) के भारत को प्रत्यर्पित किए जाने के आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। हाल ही में जब्त संपत्ति में से कुछ धन दिलाए जाने की माल्या की अर्जी को ब्रिटिश कोर्ट ने अमान्य कर दिया था। माल्या  (Vijay Mallya) ने यह धनराशि अपना कानूनी पक्ष रख रहे वकीलों को भुगतान के लिए मांगी थी। लंदन हाईकोर्ट के अधीन आने वाली इन्सॉल्वेंसी एंड कंपनीज कोर्ट ने माल्या की अर्जी को नामंजूर किया था।


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