चीन प्रायोजित आतंकवाद भी भारत के लिए गंभीर चुनौती
भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों के पीछे सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक कारण तो दोषी है ही, पाकिस्तान एवं चीन प्रायोजित आतंकवाद, घुसपैठ, माओवाद और नक्सलवाद भी भारत के लिए गंभीर चुनौती है।
जयपुर। भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों के पीछे सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक कारण तो दोषी है ही, पाकिस्तान एवं चीन प्रायोजित आतंकवाद, घुसपैठ, माओवाद और नक्सलवाद भी भारत के लिए गंभीर चुनौती है। यह कहना है देश की सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एवं पूर्व पुलिस अधिकारियों का।
राजस्थान पुलिस अकादमी में आंतरिक सुरक्षा-मुद्दे एवं चुनौतियां विषय पर पुलिस अधिकारियों के समक्ष तीन दिनों तक मंथन चला। इसमें राजस्थान सहित भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं अस्मिता पर चोट करने वाले अन्यायिक हमलों से निपटने की ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया गया ताकि देश का सुरक्षा तंत्र साइबर आतंकवाद के युग में विदेशी षड़यंत्रकारियों का एकजुट रहकर सामना कर सके।
इस अवसर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक के. विजय कुमार ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से माओवाद सबसे बडी समस्या है। देश के विभिन्न राज्यों में इससे निपटने के लिए सीआरपीएफ के जवानों को स्थानीय परिस्थितियों में 7-7 दिन तक लगातार रह कर आपरेशन करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके साथ-साथ जवानों को हथियारों व अन्य सामग्री का बेहतर उपयोग कर दुश्मन की आक्रमण योजना को समझकर आपरेशन करने का अभ्यास करवाया जा रहा है। जवानों को आधुनिक युद्ध कला में निपुण करा कर प्लाटून शैली में क्षेत्र में भेजा जा रहा है। रण कौशल के अभ्यास के साथ-साथ जंगल केंपस एक मिनट की ड्रिल, स्थानीय पारिस्थितिक जीवन यापन, डाटा बैस तैयार करना व सूचनाएं एकत्रित करने जैसे कार्य भी किए जा रहे है।
कुमार ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केंद्र सरकार की विकास योजनाओं को मजबूती से क्रियान्वित कराने में सीआरपीएफ सहयोग कर रही है। इसके साथ-साथ माओवादियों के नेताओं व काडर को गिरफ्तार-समर्पण कराकर उन क्षेत्रों में विकास व कानून व्यवस्था स्थापित की जा रही है।
इस मौके पर मौजूद बीएसएफ के महानिदेशक यू.के. बंसल ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियां उपजने के पीछे अनेक सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक आंदोलनों के साथ-साथ विदेशी घुसपैठ, तस्करी, आतंकवाद, उत्तर- पूर्वी राज्यों में चीनी व बांग्लादेशी घुसपैठ, आर्थिक विकास में असंतुलन जैसे अनेक कारण रहे है।
बंसल ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से तस्करी, आतंकवाद, जैहादी घुसपैठ, नकली नोटों एवं मादक पदार्थो की तस्करी को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। इसे रोकने के लिए इंडिया रिजर्व बटालियन, काउंटर इंसर्जेंसी स्कूल खोलने व अनुसंधान एवं डिटेक्शन सुविधाओं का विस्तार करवाया गया है। पुलिस आधुनिकीकरणऔर अत्याधुनिक हथियारों के लिए वित्तीय प्रावधान रखा गया है। उन्होंने पाकिस्तान की 1600 कि.मी. व बांग्लादेश की लंबी सीमा की सुरक्षा को दुर्गम व कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के लिहाज से उन्होंने दुष्कर व चुनौतीपूर्ण बताया।
बंसल के मुताबिक केंद्रीय पुलिस संगठनों को आंतरिक सुरक्षा व अन्य कानून व्यवस्था में और सक्रिय भूमिका निभाने हेतु 145 नई बटालियनों की भर्ती की अनुमति मिली है। इससे पुलिस संगठन देश की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने हेतु प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे।
इस मौके पर मौजूद आईबी के पूर्व निदेशक अजीत के. डोवाल ने सीमा पार आतंकवाद को देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन अपने मकसद के लिए हमारे स्थानीय अपराधी के नेटवर्क का उपयोग करते है।
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