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चीन की अकड़ बरकरार, बोला- पहले भारत हटाए सेना फिर होगी बातचीत

भारत को इस घटना के गंभीर परिणाम को समझना चाहिए और तुरंत बिना शर्त के चीन की प्रादेशिक भूमि से हटना चाहिए।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 06 Jul 2017 03:54 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jul 2017 07:55 PM (IST)
चीन की अकड़ बरकरार, बोला- पहले भारत हटाए सेना फिर होगी बातचीत
चीन की अकड़ बरकरार, बोला- पहले भारत हटाए सेना फिर होगी बातचीत

नई दिल्ली, आईएएनएस। सिक्किम में भारत और चीन के बीच डोकालाम में सीमा विवाद को लेकर पैदा हुआ तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ताजा मामले में भारत में चीनी दूतावास की ओर से दिए गए एक बयान में कहा गया है कि भारत जिस सच्चाई की बात कर रहा है वो निराधार है। बातचीत तभी हो सकती है जब भारत सीमा से अपनी सेना पीछे हटाएगा। 

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भारत स्थित चीनी दूतावास के मिनिस्टर-कांसुलर ली बीच्येन ने भारतीय थिंक टैंक वीआईएएफ, आईसीएस और ओआरएफ संस्थान जाकर भारतीय सीमा टुकड़ी के चीन-भारत सीमा क्षेत्र के सिक्किम भाग में सीमा पार घटना को लेकर चीन के रुख पर प्रकाश डाला।

मुलाकात में ली बीच्येन ने बताया कि भारतीय सेना द्वारा सीमा पार करने की कार्यवाई ने चीन की प्रादेशिक संप्रभुता को नुकसान पहुंचाया है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के बुनियादी मापदंड का उल्लंघन किया है। वास्तव में यह आक्रमणकारी कार्रवाई है।

चीन ने भारत से तुरंत चीन की प्रादेशिक भूमि से हटने की मांग की है। चीन वार्ता के जरिए हालिया स्थिति का निपटारा करने का प्रयास करेगा, लेकिन साथ ही चीन अपनी प्रादेशिक संप्रभुता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम भी उठाएगा।

ली बीच्येन ने कहा कि भूटान एक संप्रभु देश है। भारत को भूटान को अपना संरक्षण देश नहीं मानना चाहिए। भारत को इस घटना के गंभीर परिणाम को समझना चाहिए और तुरंत बिना शर्त के चीन की प्रादेशिक भूमि से हटना चाहिए।

साथ ही ली ने भारतीय थिंक टैंक के विद्वानों से द्विपक्षीय संबंधों की रक्षा के मद्देनजर भारत सरकार व जनता को समझाने की कोशिश करने की अपील की, ताकि दोनों देशों के स्थायी हितों और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए उभय प्रयास कर सकें।

भारतीय थिंक टैंक विद्वानों ने कहा कि हालांकि इस घटना पर भारत व चीन के बीच मतभेद हैं, फिर भी भारत-चीन मैत्री पर बरकरार रखना दोनों पक्षों का एकमात्र विकल्प है। विश्वास है कि दोनों पक्ष राजनयिक माध्यमों और अन्य द्विपक्षीय प्रणालियों से हालिया समस्या का हल होगा। किसी भी स्थिति में युद्ध को समस्या हल करने का विकल्प नहीं मानना चाहिए।

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