ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध की तैयारियों का प्रचार कर रहा चीन, हुबेई से किया युद्धाभ्यास
चीन एक ओर भारत से बातचीत का दिखावा कर रहा है तो दूसरी ओर युद्धाभ्यास करके यह भय पैदा करने की नाकाम कोशिश भी कर रहा है कि उसके सैनिक लड़ाई के लिए तैयार हैं...
नई दिल्ली, आइएएनएस/जेएनएन। चीन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी युद्ध की तैयारियों को लेकर पूरी तरह प्रचार में जुटा हुआ है और भारत को धमकी दे रहा है। हालांकि, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दोनों पक्षों के सैनिक आमने-सामने की स्थिति में हैं। चीन सरकार द्वारा संचालित ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने देश के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में हजारों पैराट्रूपर्स और बख्तरबंद वाहनों की विशेषता वाले बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास का आयोजन किया।
डराने की कोशिश
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीन और भारत में सीमा तनाव के बीच यह युद्धाभ्यास महत्वपूर्ण है। पूरी प्रक्रिया को कुछ ही घंटों में पूरा कर लिया गया था। हवाई ब्रिगेड ने हाल ही में हजारों किलोमीटर दूर पश्चिमोत्तर चीन के पठारों में एक अज्ञात स्थान के लिए हुबेई से युद्धाभ्यास किया। रक्षा विश्लेषक नितिन गोखले ने ट्वीट किया, चीन यह धारणा बनाने की कोशिश करने पर तुला हुआ है कि उसके योद्धा उच्च ऊंचाई की लड़ाई के लिए तैयार हैं। शायद वे लोग किसी काल्पनिक तालिका में शीर्ष स्थान बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ उत्साही सैनिकों ने अपने दिमाग में इसे लिखा और अभिनय किया है।
पहले भी कर चुका है ऐसी कोशिशें
चीन की ओर से यह प्रोपेगेंडा कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी एलएसी के समीप पूर्वी लद्दाख से 30-35 किलोमीटर दूर चीनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी थी। चीन ने वहां 10-12 लड़ाकू विमानों का एक बेड़ा रखा था और उन्होंने भारतीय क्षेत्र के करीब से उड़ान भरी थी। इन विमानों ने होटन और गरगांसा में हवाई ठिकानों से उड़ान भरी थी जो लद्दाख में हमारे क्षेत्र से 30-35 किलोमीटर दूर है। यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार, भारतीय क्षेत्रों से 10 किलोमीटर से अधिक दूरी पर किया गया था।
भारत की दो टूक, खाली करो इलाका
मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख में चीन के घुसपैठ से उपजी स्थिति को समाप्त करने के लिए शनिवार को भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत काफी बेहतर माहौल में हुई लेकिन मौजूदा तनाव के दूर होने की स्थिति अभी नहीं बनी है। दोनों पक्षों के बीच आगे भी सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी रहने की सहमति बनी है। साफ है कि मई में गलवन क्षेत्र में चीन के सैनिकों के घुसपैठ से जो स्थिति बनी है, उसे दूर करने में अभी लंबा वक्त लग सकता है। वैसे भारत ने चीन के सामने यह साफ कर दिया है कि एलएसी पर पूर्व स्थिति कायम किए बगैर विश्वास बहाली मुश्किल है।
शांतिपूर्ण समाधान चाहता है भारत
शनिवार को तकरीबन सात घंटे तक चली बैठक में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया। भारतीय दल शनिवार सुबह एलएसी के दूसरी ओर चीन की सीमा में स्थित मोल्डो पहुंचा था। बैठक के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार को आधिकारिक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि चुशूल-मोल्डो क्षेत्र में भारत और चीन के कमांडरों के बीच बातचीत बहुत ही सौहार्दपूर्ण व सकारात्मक माहौल में हुई। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप सीमा से जुड़ी स्थिति का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया जाना चाहिए।
लंबा खिंचेगा गतिरोध
जानकार यह मान रहे हैं कि गलवन घाटी में चीन के सैनिकों की एलएसी में घुसपैठ से जो स्थिति बनी है, उसके लंबा खींचने के आसार हैं। 2017 में भी चीन ने भूटान-भारत-चीन की सीमा पर स्थिति डोकलाम में इस तरह का अतिक्रमण किया था और तकरीबन 73 दिनों तक दोनों तरफ के सैन्य जमावड़े के बाद तनाव खत्म किया जा सका था। गलवन घाटी में जहां चीन ने घुसपैठ की है, वहां अक्टूबर से भारी हिमपात शुरू हो जाता है और यह क्षेत्र अन्य भू-भाग से कट जाता है। ऐसे में चीन की रणनीति तब तक वहां टिके रहने की हो सकती है।