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चीन बना रहा स्वदेशी विमानवाहक पोत, भारत में दो पर हो रहा काम

चीन अपनी सामरिक शक्ति को बढ़ाने में जुटा है। लेकिन भारत भी चीन का जवाब देने के लिए कमर कस चुका है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 09:46 AM (IST)
चीन बना रहा स्वदेशी विमानवाहक पोत, भारत में दो पर हो रहा काम

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । लगातार एक महाशक्ति के रूप में अपना आकार बड़ा करता जा रहा है। मौजूदा वैश्विक परिदृष्य अकेला चीन ही है जो अमेरिका को टक्कर देता दिख रहा है। एक समय आगे बढ़ने की जो होड़ अमेरिका और यूएसएसआर में थी, वही होड़ अब चीन करता दिख रहा है। इसके लिए चीन ने अच्छी खासी मेहनत भी की है। उसका घरेलू निर्माण उद्योग इस मामले में काफी आगे निकल चुका है।

दुनियाभर की कंपनियां चीन में अपनी निर्माण इकाइयां लगा रही हैं। तो दूसरी तरफ चीन आज रक्षा उपकरणों के मामले में भी आत्मनिर्भर होता जा रहा है। चीन न सिर्फ स्वदेशी विमान बना रहा है, बल्कि पाकिस्तान जैसे अपने सहयोगी देशों को निर्यात भी कर रहा है। हाल ही में चीन ने अपनी नौसैन्य क्षमता को बढ़ाते हुए हाल ही में अपने पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत का डालियन शिपयार्ड पर जलावतरण किया। टाइप 001ए श्रेणी के इस पोत को 2020 तक नौसेना में शामिल किया जाएगा।

उन्नत तकनीक से लैस है यह युद्धपोत

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चीन के स्वदेशी युद्धपोत टाइप 001ए को लियाओनिंग से कई मामलों में उन्नत बताया जा रहा है। इस पर नवंबर 2013 में काम शुरू किया था। इस विमानवाहक पर 24 शेनयांग जे-15 लड़ाकू विमान और 12 हेलीकॉप्टर रखे जा सकते हैं। अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों से लैस इसके डेक पर विमानों को उड़ान में मदद देने वाला उभार यानी स्काई-जंप भी है। इसका डिजाइन सोवियत संघ के कुजनेत्सोव श्रेणी के समान है।


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एक नजर में चीनी विमानवाहक युद्धपोत...


वजन - 50 हजार टन
लंबाई - 315 मीटर
चौड़ाई - 75 मीटर
अधिकत्तम रफ्तार - 51 किमी/घंटा
क्षमता - 24 शेनयांग जे-15 लड़ाकू विमान और 12 हेलीकॉप्टर रखे जा सकते हैं

चीन का दूसरा विमानवाहक युद्धपोत

यह चीन का दूसरा विमानवाहक पोत है। चीन ने 1998 में यूक्रेन से सोवियत संघ निर्मित लियाओनिंग विमानवाहक युद्धपोत खरीदा था। यह 2012 में सेवा में शामिल हुआ।

समूचे दक्षिण चीन सागर पर दबदबा

फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम की आपत्तियों के बावजूद चीन लगभग संपूर्ण दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है। चीन ने यहां एक कृत्रिम द्वीप स्थापित किया है। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच चल रहे तनाव के लिहाज से भी चीन की सैन्य ताकत में इजाफा अहम है।

दुनिया का सातवां देश

स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत बनाने वाला चीन दुनिया का सातवां 7वां दे गया है। अन्य छह देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और स्पेन हैं। भारत भी इस श्रेणी के देशों जल्द ही शामिल हो जाएगा और संभवत: भारत का नंबर 8वां होगा।

परमाणु क्षमता युक्त विमानवाहक पोत भी बना रहा चीन

चीन सिर्फ एक विमानवाहक पोत पर रुकने वाला नहीं है। वह टाइप 002 और टाइप 003 श्रेणी के विमानवाहक पोत भी बना रहा है। चीन का दावा है कि टाइप 002 परमाणु क्षमता से युक्त होगा। इसके 2024 तक सेवा में शामिल होने की संभावना है।

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चीन की भारत को नसीहत

ऐसा नहीं है कि भारत सिर्फ विदेश तकनीक पर निर्भर है। भारत भी विमानवाहक पोत बना रहा है और भारत की इसी प्रगति से चिंतित चीन ने हाल में भारत को विमानवाहक युद्धपोत बनाने की जगह अपनी अर्थव्यवस्था पर जोर देने की नसीहत दी थी। बता दें कि भारत अपना पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आइएनएस विक्रांत बना रहा है, जिसके 2023 तक पूरा होने की संभावना है। ज्ञात हो कि भारत 1961 से विमानवाहक युद्धपोत का संचालन कर रहा है, जबकि चीन को यह उपलब्धि 2012 में हासिल हुई है।

भारत के विमानवाहक पोत

भारत भी दो स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत बना रहा है। इनके नाम आइएनएस विक्रांत और आइएनएस विशाल हैं। अभी भारत के पास एक विमानवाहक युद्धपोत आइएनएस विक्रमादित्य है। इसे रूस से 2004 में खरीदा और 2014 में नौसेना में शामिल किया गया था। इसमें 36 मल्टी रोल लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर रखने की क्षमता है।

आइएनएस विक्रांत- यह विमानवाहक 262 मीटर लंबा होगा और भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत होगा। 1997 में नौसेना से जिस आइएनएस विक्रांत को सेवामुक्त किया गया था, उसी के नाम पर इसे तैयार किया जा रहा है। इस पोत का निर्माण 2009 में शुरू हुआ था और इसे पूर्णरूप से 2023 तक नौसेना में शामिल करने का प्रस्ताव है।

आइएनएस विशाल- यह भारत का दूसरा स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत होगा। रूस, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से 2012 में इसकी डिजाइनिंग शुरू हुई थी। यह 2025 तक नौसेना में शामिल होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यह परमाणु ऊर्जा संपन्न होगा।

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