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नए चोले में चीन

खाद्य तथा ऊर्जा सुरक्षा में हमारे हितों का टकराव सीमा विवाद से अधिक जटिल बना रहेगा। निरंतर सतर्कता ही हमारे लिए हितकारी होगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 31 Oct 2017 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 31 Oct 2017 11:02 AM (IST)
नए चोले में चीन

नई दिल्ली (जेएनएन)। हमारे सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी देश चीन ने केंचुल बदल डाली है। हाल ही में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं कांग्रेस संपन्न हुई है। इस महासम्मेलन के बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग माओ के बाद दूसरी सबसे ताकतवर हस्ती बन गए हैं। उनके सिद्धांतों को पार्टी के संविधान में शामिल कर लिया गया है। चीन को भविष्य की महाशक्ति बनाने को ध्यान में रख उन्होंने अपनी नई टीम भी बना ली है।  

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भारत उनके खास एजेंडे में है, तभी तो 70 दिनों तक चली डोकलाम तनातनी में अहम भूमिका निभाने वाले वेस्टर्न कमांड के सैन्य जनरल झाओ जोंगक्वी को पार्टी की सेंट्रल कमेटी में जगह मिली है। साथ ही सीमा को लेकर भारत से बातचीत करने वाले विशेष प्रतिनिधि यांग जीची को 25 सदस्यीय पोलित ब्यूरो में शामिल कर लिया गया है। चीन की आक्रामक और महत्वाकांक्षी नीति को देखते हुए इस राजनीतिक बदलाव को पूरी दुनिया बहुत ही गंभीरता से ले रही है। ऐसे में ‘नया माओ’ माने जा रहे सर्वशक्तिमान शी चिनफिंग से भारत को हर लिहाज से सतर्क और चौकस रहने की दरकार होगी। 


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