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अफ्रीकी बाजारों में भारत के वर्चस्‍व में बढ़ा चीन का दखल, शुरू हुआ 'Rice War'

चावल निर्यातक देश के लिए प्रतियोगी के तौर पर चीन ने दखल दी है। अफ्रीकी बाजारों में यह टनों चावल भेज रहा है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 08:48 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 08:48 AM (IST)
अफ्रीकी बाजारों में भारत के वर्चस्‍व में बढ़ा चीन का दखल, शुरू  हुआ 'Rice War'
अफ्रीकी बाजारों में भारत के वर्चस्‍व में बढ़ा चीन का दखल, शुरू हुआ 'Rice War'

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। अब तक अफ्रीकी बाजारों में चावल का निर्यात केवल भारत के खाते में था लेकिन अब यहां भी चीन का दखल बढ़ गया है। दरअसल, हमेशा ग्राहक रहने वाला देश अब विक्रेता बन गया है। चावल को निर्यात करने में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है लेकिन अब बाजार में इसका एक प्रतियोगी चीन उतर आया है। उद्योग भवन में पॉलिसी बनाने से लेकर चावल निर्यात करने वाले शीर्ष मिलों की निगाहें भी बड़ी सतर्कता के साथ चीन को देख रहीं हैं। क्‍योंकि यह अफ्रीकी बाजारों में टनों चावल पहुंचा रहा है तो आम तौर पर भारत का काम होता था। 

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पिछले 6 महीनों में सरकारी वेयरहाउस (warehouses) से चीन ने 3 मिलियन टन से अधिक गैर-बासमती चावल की निकासी की है। अफ्रीकी देशों में गैर-बासमती चावल का बड़ा हिस्‍सा कई खेपों में भेज दिया गया था।

उत्‍तराखंड के बड़े चावल निर्यातक लक्ष्‍य अग्रवाल ने कहा, ‘हम (भारत) करीब 400 डॉलर प्रति टन गैर-बासमती चावल निर्यात करते हैं लेकिन चीन इससे काफी कम कीमत पर चावल उपलब्‍ध करा रहा है।’

मार्केट सूत्रों के अनुसार, चीन 300 डॉलर से 320 डॉलर प्रति टन गैर-बासमती चावल का निर्यात कर रहा है। लक्ष्‍य अग्रवाल ने आगे कहा, ‘भारत और चीन के दरों में काफी अंतर है। अगर ऐसा ही जारी रहा तो हमारा निर्यात प्रभावित होगा।’

दशाकों तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश रहा। इसके बाद थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्‍तान आदि देशों का नाम चावल निर्या‍तक में आता है। एक ओर जहां भारत शीर्ष स्‍थान को सुरक्षित रखना चाहता था वहीं गैर-बासमती चावल का निर्यात तेजी से सिकुड़ता जा रहा है।

उदाहरण के लिए 2019 के अप्रैल से नवंबर माह (April to November) के बीच भारत ने 9,028.34 करोड़ रुपये की गैर बासमती चावल का निर्यात किया। जबकि 2018 में भी इसी अवधि के दौरान 14,059.51 रुपये करोड़ के गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया था।

इस बीच वित मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि वैश्विक स्‍तर पर चावल का निर्यात करने वाले लॉबी ने सुझाव दिया कि सरकार को फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के वेयरहाउसेज से काफी अधिक मात्रा में गैर बासमती चावल का स्‍टॉक खुले बाजार में भेजा जाना चाहिए।

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