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NSG में प्रवेश के लिए भारत के जी-तोड़ प्रयास के आड़े आ रहा चीन

स्विटजरलैंड में जब विश्व के तमाम परमाणु शक्ति संपन्न देश आपस में चर्चा करेंगे तो भारत के लिए कोई उम्मीद की किरण दिखेगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 21 May 2017 09:31 PM (IST)Updated: Sun, 21 May 2017 09:31 PM (IST)
NSG में प्रवेश के लिए भारत के जी-तोड़ प्रयास के आड़े आ रहा चीन

नई दिल्ली, प्रेट्र। एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) समूह की बैठक में भारत के प्रवेश की संभावनाएं बेहद क्षीण दिखाई दे रही हैं। इसकी बैठक अगले माह यानि जून में होने जा रही है, लेकिन लगता नहीं है कि बर्न (स्विटजरलैंड) में जब विश्व के तमाम परमाणु शक्ति संपन्न देश आपस में चर्चा करेंगे तो भारत के लिए कोई उम्मीद की किरण दिखेगी।

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हालांकि भारत इस समूह में सदस्यता हासिल करने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है। उसने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व रूस जैसे देशों का समर्थन भी हासिल कर रखा है अलबत्ता उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर चीन खड़ा हो गया है। चीन नहीं चाहता कि भारत को इस समूह में प्रवेश मिले। इसके लिए उसने दो शर्ते थोप रखी हैं। सबसे अहम यह है कि जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं उन्हें सदस्यता से महरूम रखा जाए। इसके साथ ही चीन पाकिस्तान को इस मामले में भारत के बराबर आंकता चला आ रहा है। हालांकि पिछले साल भारत व चीन की दो बार इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है। चीन का हमेशा से यही राग रहा है कि वह भारत का विरोध नहीं कर रहा लेकिन उसे शर्ते तो माननी होंगी।

भारत ने समूह में प्रवेश के लिए पिछले साल मई माह में अपना दावा पेश किया था। 48 देशों के इस समूह में प्रवेश के लिए भारत हर प्रयास कर रहा है। इसके लिए सदस्य देशों के साथ लाबिंग भी चल रही है, लेकिन ज्यादातर देश खुले तौर पर समर्थन नहीं दे रहे हैं। तुर्की ने भारत को समर्थन देने का भरोसा दिलाया है पर साथ में पाकिस्तान के लिए भी वह जोर मार रहा है। न्यूजीलैंड से भारत को काफी उम्मीदें थी पर वहां से भी केवल आश्वासन भर ही मिल रहा है। पिछले साल अक्टूबर में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन फिलिप ने केवल इतना भर कहा था कि भारत की सदस्यता के लिए उनका देश सकारात्मक रुख रखेगा। हालांकि सियोल (दक्षिणी कोरिया) में हुए अधिवेशन के साथ बीते साल नवंबर में एनएसजी के सलाहकार समूह की बैठक में भारत के दावे पर चर्चा तो हुए पर चीन फिर दीवार बन खड़ा हो गया।

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