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गोद लेने के इच्छुक दंपती तरसे, 11 राज्यों में नहीं हैं दो साल तक के बच्चे

सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में 2315 दंपती लाइन में हैं पर उन्हें दो साल तक का बच्चा नहीं मिल पा रहा।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 04 Jul 2017 08:01 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jul 2017 08:01 PM (IST)
गोद लेने के इच्छुक दंपती तरसे, 11 राज्यों में नहीं हैं दो साल तक के बच्चे

नई दिल्ली, प्रेट्र। अक्सर देखा गया है कि बच्चा गोद लेने के इच्छुक दंपती की ख्वाहिश होती है कि वो दो साल तक की उम्र के बच्चे को घर लेकर आए। आम धारणा है कि बच्चा जब छोटा होता है तो उसके साथ आत्मीय संबंध बनने की प्रक्रिया सहज होती है। जब उसकी समझ विकसित होनी शुरू हो जाती है तो वह अपने पराए का भेद जानने लगता है। फिर नए अभिभावकों से उसका जुड़ाव नहीं हो पाता। लेकिन जो दंपती दो साल तक का बच्चा गोद लेने के ख्वाहिशमंद हैं, फिलहाल उनके लिए हालात मुश्किल हैं। देश में 11 राज्य ऐसे हैं जहां पर दो साल तक की उम्र का एक भी बच्चा गोद लेने के लिए उपलब्ध नहीं है। लोग कतारबद्ध हैं पर अपने आंगन में किलकारी सुनने की इच्छा पूरी होती नहीं लग रही।

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सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में 2315 दंपती लाइन में हैं पर उन्हें दो साल तक का बच्चा नहीं मिल पा रहा। दो बच्चे हैं जिनकी उम्र आठ से दस साल के बीच है। उनके लिए 67 लोग कतारबद्ध हैं। जम्मू-कश्मीर में भी यही हालात हैं। यहां पर 2297 अभिभावक लाइन में हैं। दमन दीव में 2322, चंडीगढ़ में 2590, हिमाचल प्रदेश में 2553, लक्षद्वीप में 2302, मेघालय, सिक्किम व मिजोरम में 8087, पुडुचेरी में 2404, उत्तराखंड में 2502 अभिभावक इस आयु वर्ग के बच्चों को गोद लेने के लिए इंतजार कर रहे हैं।

ऐसे दंपती नहीं हैं जो स्वस्थ व बड़ी उम्र के बच्चों को गोद लेने के इच्छुक हों। महाराष्ट्र में दो से चार साल तक की उम्र के 31 बच्चे उपलब्ध हैं। वहां केवल सात आवेदन आए हैं। चार से छह साल की उम्र के 24 बच्चे उपलब्ध हैं पर केवल चार लोगों ने इनमें रुचि दिखाई है। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि दो साल तक की उम्र के 24 बच्चे यहां उपलब्ध हैं पर उसके लिए 3623 आवेदन हैं।

चिल्ड्रन इमरजेंसी रिलीफ इंटरनेशनल के इयान आनंद का कहना है कि दो साल तक की उम्र के बच्चे न होने के कारण अनाथालय की व्यवस्था है। वहां जो बच्चे रह रहे हैं वो अनाथ नहीं हैं। वो केवल इस वजह से वहां रह रहे हैं, क्योंकि माता-पिता इतने सक्षम नहीं जो उनकी देखभाल ठीक कर सके।

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