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मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में किन मुद्दों पर हुई चर्चा, मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री ने दी जानकारी

विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में किन मुद्दों पर चर्चा हुई मुख्‍य न्‍यायाधीश ने शनिवार को इस बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि जजों की सुरक्षा का मसला बेहद महत्‍वपूर्ण है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 30 Apr 2022 07:01 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2022 11:16 PM (IST)
मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में किन मुद्दों पर हुई चर्चा, मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री ने दी जानकारी
सम्‍मेलन के बारे में जानकारी देते मुख्‍य न्‍यायाधीश एनवी रमना और कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Photo ANI)

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने यहां विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में हुई चर्चाओं और कार्यवाही के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसमें ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें एकमुश्त बुनियादी ढांचा निधि दिए जाने की बात कही गई है। न्यायाधीशों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर मुख्‍य न्‍यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि मैंने मुख्‍यमंत्रियों के सामने सुरक्षा के मुद्दे उठाए जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएंगे।  

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मुख्‍य न्‍यायाधीश ने यह भी कहा कि हमारे पास इतनी तकनीक/प्रणालियां नहीं हैं जहां पूरे रिकार्ड का स्थानीय भाषा या अंग्रेजी में अनुवाद किया जा सके। कुछ हद तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद एक रास्ता है। इस बारे में हमने कोशिश की है और कुछ हद तक यह साकार हो गया है लेकिन आगे की पेचीदगियों को दूर करने के लिए समय चाहिए। उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यान्वयन में बहुत सारी बाधाएं और अड़चनें हैं। कभी-कभी कुछ न्यायाधीश स्थानीय भाषा से परिचित नहीं होते हैं।

वहीं अदालतों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह मामला कई चरणों में चर्चा में आया। हम न्यायपालिका में स्थानीय भाषाओं के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के बारे में बहुत सकारात्मक हैं... ऐसा करने से हमें कोई रोक नहीं सकता। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए न्यायपालिका के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता है।  

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के दौरान कुछ प्रस्ताव पारित किए गए। प्रस्तावों में से एक राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना विकास प्राधिकरण का गठन भी है। कुछ मुख्यमंत्री मौजूदा व्यवस्था में इससे सहमत नहीं हो पाए। उनका कहना है कि समिति का गठन राष्ट्रीय स्तर के बजाय राज्य स्तर पर किया जाना चाहिए क्योंकि कार्यों का कार्यान्वयन राज्य स्तर पर राज्य सरकार के पास है। हालांकि इस बात की खुशी है कि मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों ने सहमति व्यक्त की है कि राज्य स्तर पर मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों या उनके नामितों की भागीदारी से निकाय बनाया जाएगा।

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्देश्य नागरिकों को समय से गुणवत्तापूर्ण न्याय देने का रास्ता तैयार करना है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का सिद्धांत सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है। उन्होंने न्यायपालिका में ढांचागत संसाधन जुटाने के लिए किए जा रहे प्रयासों और जारी कोष का ब्योरा दिया। ईकोर्ट प्रोजेक्ट और वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत को अहम बताते हुए कहा कि 13 राज्यों में 17 वर्चुअल कोर्ट छोटे-मोटे ट्रैफिक के मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।

बता दें कि उक्‍त सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने न्याय प्रणाली के भारतीयकरण पर फिर जोर दिया और उच्च न्यायालयों में स्थानीय भाषा में कार्यवाही की जरूरत बताई। जस्टिस रमणा ने कहा, मुझे उच्च न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं में कार्यवाही के संबंध में कई ज्ञापन प्राप्त हुए हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस मांग पर विचार किया जाए और इसे तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाया जाए। प्रधान न्यायाधीश द्वारा हाई कोर्ट में स्थानीय भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात की प्रधानमंत्री मोदी ने भी सराहना की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि किसी भी देश में सुराज का आधार न्याय होता है। इसलिए न्याय जनता से जुड़ा हुआ होना चाहिए। जनता की भाषा में होना चाहिए। जब तक न्याय के आधार को सामान्य मानव नहीं समझता, उसके लिए न्याय और राजकीय आदेश में फर्क नहीं होता। इसके साथ ही पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में अंग्रेजी में कार्यवाही और आदेशों से आम जनता को समझने में होने वाली दिक्कतों को हल करने और व्यवस्था को सरल बनाने के लिए स्थानीय भाषा को प्रोत्साहन देने की पैरवी की।


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