Budget 2021: मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम ने कहा- अर्थव्यवस्था के लिए टीके का काम करेगा टीकाकरण
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खर्च को अधिक से अधिक बढ़ाने की वकालत करते हुए उन्होंने बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर मैन्यूफैक्चरिंग टूरिज्म और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने के भी संकेत दिए।
नई दिल्ली, [ साक्षात्कार]। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम कोरोना वैक्सीन मुफ्त में लगाए जाने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि टीकाकरण ही अर्थव्यवस्था के लिए टीके का काम करेगा। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खर्च को अधिक से अधिक बढ़ाने की वकालत करते हुए उन्होंने बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैन्यूफैक्चरिंग, टूरिज्म और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने के भी संकेत दिए। पेश हैं मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम से दैनिक जागरण के राजीव कुमार की बातचीत के अंश :
प्रश्न: वैक्सीन मुफ्त में देने की बात चल रही है। आप इससे कितने सहमत हैं?
उत्तर: बतौर अर्थशास्त्री मेरा मानना है कि वैक्सीनेशन ही अर्थव्यवस्था की वैक्सीन है। जहां तक वैक्सीन मुफ्त में देने की बात है, तो पांच सदस्य वाले परिवार को वैक्सीन के लिए 1000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जो गरीबों के लिए मायने रखता है। वैसे भी जब वैक्सीनेशन से पूरी अर्थव्यवस्था खुल जाएगी, तो सरकार को रिटर्न मिलेगा। कोई टेलीविजन मुफ्त में देने की बात नहीं हो रही है, जो यह कहा जाए कि इससे क्या लाभ मिलने वाला है।
प्रश्न: वैक्सीनेशन की लागत सरकार को कैसे रिटर्न देगी?
उत्तर: मैं कहूंगा कि सरकार 35-40 हजार करोड़ रुपये वैक्सीनेशन पर खर्च करती है, तो 70 हजार करोड़ का रिटर्न मिलेगा क्योंकि जो लोग कोरोना के डर के कारण बाहर नहीं आ रहे हैं, वे वैक्सीनेशन के बाद बाहर निकलेंगे। स्थिति सामान्य होगी। रुके हुए सेवा क्षेत्र में बड़ी मांग निकलेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियां सामान्य होंगी। इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
प्रश्न: वैक्सीनेशन के खर्च के लिए क्या कोरोना सेस जायज होगा?
उत्तर: मैं अभी सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि इस समय खर्च ज्यादा करने की जरूरत है।
प्रश्न: आपने आर्थिक सर्वे में भी वर्तमान स्थिति में सरकारी खर्च बढ़ाने की वकालत की है। आपके हिसाब से कब तक सरकार को अपने खर्च को बढ़ाकर रखना चाहिए?
उत्तर: मेरा मानना है कि जब तक भारत की जीडीपी विकास दर कोरोना पूर्व की स्थिति में नहीं पहुंच जाती है, तब तक सरकार को अपने खर्च को बढ़ाकर रखना चाहिए। मेरा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में यह स्थिति आ जाएगी, जब सरकार अपने खर्च को कम कर पाएगी। क्योंकि 2022-23 में भारत की विकास दर 6.5-7.5 फीसद रह सकती है। तब सरकार हाथ खींच सकती है।
प्रश्न: किस क्षेत्र में सरकार अपना खर्च बढ़ा सकती है?
उत्तर: सरकार ने अपने राजस्व खर्च नहीं बढ़ाए, क्योंकि हम अपना कैपिटल खर्च बढ़ाना चाहते थे। क्योंकि एक रुपये के बराबर कैपिटल खर्च से 4.5 रुपये के बराबर का लाभ मिलता है, जबकि राजस्व खर्च का लाभ ज्यादा नहीं मिलता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में 60 फीसद अधिक कैपिटल खर्च किया गया, अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में 160 फीसद और नवंबर के मुकाबले दिसंबर में 60 फीसद अधिक कैपिटल खर्च रहा। चालू तिमाही में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। मेरा अनुमान है कि अगले दशक में कर्ज की ब्याज दर देश की विकास दर से कम रहेगी। इसलिए खर्च को लेकर कोई समस्या नहीं है।
प्रश्न: किन-किन में सेक्टर अधिक खर्च का अनुमान है?
उत्तर: इन्फ्रास्ट्रक्चर सबसे ज्यादा अहम है। उसके बाद वैक्सीनेशन अभियान के कारण हेल्थकेयर महत्वपूर्ण है। रियल एस्टेट सेक्टर इसलिए अहम है, क्योंकि वहां भी रोजगार सृजन होता है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए टूरिज्म को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है।
प्रश्न: आपके अनुमान के मुताबिक कब तक कोरोना का असर खत्म हो सकता है?
उत्तर: मेरा अनुमान है कि इस साल महामारी के असर से हम बाहर आ जाएंगे। वैसे हो सकता है कि मेरा अनुमान सही न भी निकले।
प्रश्न: आर्थिक सर्वे में निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की वकालत की गई थी। इस दिशा में क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
उत्तर: प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम अच्छी है। अब तक जो स्कीम थी, उसमें ग्रोथ के लिए प्रोत्साहन नहीं था। पीएलआइ में इंक्रिमेंटल ग्रोथ पर प्रोत्साहन दिया जाता है। एमएसएमई की परिभाषा बदलने से भी लाभ मिलेगा। एक बात यह भी है कि इस प्रकार के असरदार कदमों का परिणाम आने में समय लगता है।