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छत्तीसगढ़ : कोयला उत्पान की चुनौती से जूझ रही एसइसीएल, 28 दिनों में 47 मिलियन टन की चुनौती

सबसे बड़ी आनुषांगिक कंपनी एसइसीएल का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से निराशाजनक रहा है। वर्ष 2018-19 व 2019-20 में लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी है। वित्तीय वर्ष 2020-21 को पूरा होने में केवल 28 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में 47 मिलियन टन कोयला का उत्पादन संभव नहीं है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 09:10 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 09:10 PM (IST)
लगातार तीसरे साल भी लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगी एसईसीएल

कोरबा, जेएनएन। साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड (एसइसीएल) अगले 28 दिनों में 47 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की चुनौती से जूझ रही है। 172 मिलियन टन के मुकाबले अब तक केवल 125 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो सका है। कोल इंडिया की आठ आनुषांगिक कंपनी में केवल नार्दन कोलफिल्ड लिमिटेड (एनसीएल) ही लक्ष्य के करीब है। कोल इंडिया भी इस वर्ष उत्पादन के अपने लक्ष्य से काफी पीछे है। 660 मिलियन टन उत्पादन करना है, लेकिन अब तक केवल 519.86 मिलियन टन ही हो सका है। लक्ष्य के मुताबिक अब तक 601.03 मिलियन टन उत्पादन कर लिया जाना था।

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सबसे बड़ी आनुषांगिक कंपनी एसइसीएल का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से निराशाजनक रहा है। वर्ष 2018-19 व 2019-20 में लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी है। इस वित्तीय वर्ष 2020-21 को पूरा होने में केवल 28 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में 47 मिलियन टन कोयला का उत्पादन संभव नहीं है। बावजूद इसके हर हाल में लक्ष्य पूरा करने का दबाव झेल रहा एसईसीएल प्रबंधन ने अधिक से अधिक उत्पादन के लिए अंतिम दिनों में पूरी ताकत झोंक दी है।

जमीन की कमी से जूझ रहे मेगा प्रोजेक्ट कोयला मंत्रालय भी इसे लेकर चिंतित है। मंगलवार को संयुक्त कोयला सचिव विस्मिता तेज ने कोल इंडिया के निदेशक तकनीक मुकेश चौधरी के साथ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में संचालित खदानों का जायजा लिया। उधर एसईसीएल दीपका के महाप्रबंधक रंजन शाह का कहना है कि जमीन की कमी व भू-विस्थापितों के आंदोलन की वजह से काम प्रभावित हो रहा। मेगा प्रोजेक्ट गेवरा व कुसमुंडा भूमि की कमी से जूझ रहा है। यह गतिरोध समाप्त होने के बाद ही कोयला खदानों में कार्य की गति तेज होगी।


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