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गोबर से आय ने कराया हवाई चप्पल में हवाई जहाज का सफर, जानें पूरी कहानी

मुन्ना को 12 नवंबर को कन्नौज के छिबरामऊ तहसील के प्रेमपुर पोस्ट स्थित डालूपुर गांव में रह रही मां के देहावसान की सूचना मिली। अंतिम यात्रा में पहुंचना मुश्किल था परंतु तेरहवीं में शामिल होने के लिए भी ट्रेन टिकट उपलब्ध नहीं होने के कारण मुश्किलें बढ़ गई।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 10:35 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 10:50 PM (IST)
गोबर बेचकर हवाई चप्पल में हवाई जहाज का सफर

 अनिल मिश्रा, जगदलपुर। गोबर बेचकर हवाई चप्पल में हवाई जहाज का सफर। सुनने-पढ़ने पर सहज विश्वास नहीं होगा। लेकिन सच तो सच है। बीजापुर के मुन्ना पाल और उनके स्वजन का यथार्थ है। बच्चों द्वारा राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत अर्जित और संचित रपये मुश्किल समय में काम आए और प्रधानमंत्री की उड़ान योजना भी साकार हो गई जिसमें हवाई चप्पल में हवाई यात्रा की बात की गई थी। केंद्र व राज्य सरकारें योजनाएं शुरू करती हैं और परिकल्पनाएं सार्थक होने पर मिसाल बन जाती हैं। केंद्र सरकार की मंशा थी कि उड़ान योजना के तहत हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई यात्रा कर सकें। राज्य सरकार की मंशा थी कि किसानों को उनके पशुधन के गोबर तक का मोल मिले। 

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प्रदेश सरकार की योजना के तहत गोबर बेचा, जमा पैसे काम आए मजबूरी में

गोधन न्याय योजना के तहत भूपेश बघेल सरकार ने गोबर की खरीदी शुरू की है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कन्नौज निवासी मुन्ना पाल के लिए दोनों योजनाएं एक साथ सार्थक हो गई। वह बीजापुर के पुसनार में वनोपज खरीदकर बड़े व्यापारियों को बेचने का छोटा सा कारोबार करते हैं। उनके घर में एक भैंस भी है जिसका गोबर पत्नी और बच्चे सरकार को जुलाई महीने से बेचते आ रहे हैं। अधिक लाभ के लिए आसपास से भी गोबर एकत्र कर लेते हैं।

हवाई चप्पल वालों के लिए केंद्र की उड़ान योजना की परिकल्पना भी हुई सार्थक

मुन्ना को 12 नवंबर को कन्नौज के छिबरामऊ तहसील के प्रेमपुर पोस्ट स्थित डालूपुर गांव में रह रही मां के देहावसान की सूचना मिली। अंतिम यात्रा में पहुंचना मुश्किल था परंतु तेरहवीं में शामिल होने के लिए भी ट्रेन टिकट उपलब्ध नहीं होने के कारण मुश्किलें बढ़ गई। परिवार ने हवाई जहाज से लखनऊ होते हुए गांव पहुंचने का निर्णय लिया। मुन्ना ने बताया कि उनके खाते में राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत बेचे गए गोबर के करीब साढ़े सत्रह हजार रुपये थे। परिवार रायपुर से दिल्ली होते हुए लखनऊ पहुंचा। वहां से उसने 250 किमी का सफर बस तय कर गांव पहुंचे और मां की तेरहवीं में शामिल हुए। स्वजनों को यात्रा का वृतांत सुनाया तो सभी रोमांचित हो गए। छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा दो रपये किलो गोबर खरीदे जाने की बात भी ग्रामीणों को आश्चर्यचकित करने वाली रही।

आम आदमी को देख रहे थे खास

मुन्ना ने बताया कि जब वह रायपुर के एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया। प्लेन में अंदर घुसे तो सभी यात्री उनकी वेशभूषा देख रहे थे। वह बोले, गरीबी में जीवन यापन करने वाली की अपनी परेशानी होती है। मुन्ना ने बताया जब प्लेन तेजी से दौड़ने लगा तो पहले तो डर लगा फिर थोड़ी देर के बाद सब सामान्य हो गया।


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