नान घोटाले में आईपीएस मुकेश गुप्ता और नारायणपुर के एसपी रजनेश सिंह निलंबित
शुक्रवार को इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोप के तहत मामला दर्ज किया गया था।
नईदुनिया, रायपुर। छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच में गड़बड़ी और बिना अनुमति के फोन टेपिंग के मामले में कांग्रेस सरकार ने दो आइपीएस मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया है। गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय में पदस्थ (बिना प्रभार) डीजी गुप्ता और नारायणपुर के एसपी रजनेश को निलंबन अवधि के दौरान पुलिस मुख्यालय में अटैच किया है। गुरुवार देर रात आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती धारा में केस दर्ज किया था।
भाजपा सरकार के कार्यकाल में 3600 करोड़ रुपये के बहुचर्चित नान घोटाले में कई प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों के नाम भी सामने आए थे। ईओडब्ल्यू ने जब नान घोटाले को लेकर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी, उस समय गुप्ता एडीजी और रजनेश एसपी थे। दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर जांच की दिशा बदली। कई बड़े चेहरों को बचाने का काम किया। जांच के नाम पर अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं के फोन बिना अनुमति के टेप किए। नान डायरी में कई रसूखदारों का नाम कोडवर्ड में सामने आया था, जिसकी जांच भी नहीं की गई। गुप्ता और रजनेश के निलंबित होने के बाद अब गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
जो कूटरचना कर रहे हैं, उन पर हो रही कार्रवाई: भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि— जो कूटरचना करे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी और हुई है। बिना अनुमति के फोन टेपिंग करना तो निजता के हनन का गंभीर मामला है।
क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 12 फरवरी 2015 को राज्य में नान के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मार कर करोड़ों रुपये बरामद किए थे। साथ ही भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी भी जब्त की थी। आरोप है कि राइस मिल संचालकों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी की गई। कथिततौर पर एक लाल डायरी भी जब्त की गई है। विपक्ष में रहते कांग्रेस ने इसको लेकर तत्कालीन रमन सरकार व सत्ता प्रमुख पर गंभीर आरोप लगाए थे। यही वजह है कि सत्ता में आते ही कांग्रेस ने मामले की नए सिरे से जांच करा रही है।