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नक्सल प्रभावित इस गांव में सहभागिता से जल रही स्वच्छता की अलख, दूसरे गांवों के लिए मिसाल

नक्सलियों के गढ़ में शुमार रहे इस गांव के ध्वस्त स्कूलों की काया ही बदल गई है। गांव के सार्वजनिक हैंडपंपों के पास जल संरक्षण के लिए टंकियां बनाई जा रही हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 01:17 PM (IST)
नक्सल प्रभावित इस गांव में सहभागिता से जल रही स्वच्छता की अलख, दूसरे गांवों के लिए मिसाल

नारायणपुर, मो. इमरान खान। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के 342 की आबादी वाले तुरठा पंचायत के ग्रामीण सामूहिक सहभागिता से स्वच्छता की अलख जलाकर स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने में लगे हैं। दुनिया की चकाचौंध से दूर इस गांव में नई पीढ़ी की भविष्य की चिंता इस कदर है कि स्वछता और जल संरक्षण की दिशा में यहां कारगर कदम उठाए रहे हैं। यहां स्वच्छता को लेकर जो मुहिम चल रही है वह अपने आप में अनूठी है। पूरे गांव के लोग मिलकर गांव की सफाई करते हैं। स्वच्छता के इस संकल्प के साथ इन्होंने अपने गांव का कायाकल्प कर दिया है।

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कभी नक्सलियों के खौफ से खाली हो रहा था गांव

हर रविवार गांव के प्रत्येक घर से एक एक व्यक्ति हाथों में झाड़ू लेकर गली-मोहल्लों की सफाई करता है। 63 परिवारों वाले इस गांव की एक और खासियत काफी प्रभावित करने वाली है। यहां नक्सलियों के डर से गांव छोड़कर जिला मुख्यालय गए लोगों की खाली जमीन पर सामूहिक खेती कर फसल ली जा रही है। इसके एवज में जो धन उपार्जन होता है उससे गांव के विकास कार्य में आर्थिक सहयोग मिल रहा है। गांव के युवा और बुजुर्गों के बीच आपसी तालमेल इस कदर है कि सामूहिक फैसले के खिलाफ कोई भी ग्रामीण आगे नहीं आता है।

खुले में शौच की बुराई के खिलाफ ऐसे जीती जंग

जंगल और खेतों में शौच की कुरीति को खत्म करने के लिए गांव के हर एक घर में शौचालय बनाया गया है। गांव में तीन -तीन लोगों के कई समूह बनाए गए हैं जो शौचालय की उपयोगिता के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। गांव में खुले में शौच पर बहुत पहले से ही जुर्माने का नियम लागू है। खुले में शौच की कुप्रथा रोकने के लिए काम करने पर छह सौ रूप प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस नियम के चलते अब पूरे गांव में लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं।

जल संरक्षण के लिए गांव में हुआ ऐसा काम

गांव के सार्वजनिक हैंडपंपों के पास जल संरक्षण के लिए टंकियां बनाई जा रही हैं। वहीं ग्रामीण महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण भी कराया जा रहा है। यहां की सरपंच सामदेर गावड़े बताते हैं कि सार्वजनिक शौचालय के लिए बांस का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान करके बांस का शौचालय बनाकर युवतियों और महिलाओं को बेहतर माहौल उपलब्ध कराई जा रही है।

नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिए थे स्कूल भवन, अब ऐसी है इनकी रौनक

नक्सलियों के गढ़ में शुमार रहे इस गांव के ध्वस्त स्कूलों की काया ही बदल गई है। ग्रामीणों के श्रमदान और जिला प्रशासन के सहयोग से यहां के स्कूल जिले की सबसे खूबसूरत स्कूलों में अव्वल दर्जे में गिना जाने लगा है। कुछ सालों तक यहां के स्कूलों में जहां बच्चों की दर्ज संख्या दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाती थी, वहीं अब स्कूल छात्रों से भरे दिखाई पड़ रहे हैं। गांव के प्रमुख फोहडू कचलम, माता पुजारी फरसु समरथ, शिक्षक महेंद्र पुजारी ने बताया कि गांव विकास के लिए शासकीय योजनाओं का लाभ बड़ी संख्या में लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कलेक्टर पीएस एल्मा किए द्वारा बैठक लेकर गांव को नवाचार की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित किया गया।

दूसरे गांवों के लिए बना उदाहरण

नारायणपुर के कलेक्टर पीएस एल्मा का कहना है कि तुरठा पंचायत पूरे देश के गांवों के लिए एक नजीर पेश कर रहा है। ग्रामीणों की सहभागिता से गांव में जल संरक्षण और स्वच्छ के साथ-साथ शिक्षा की भी अलख जगाई जा रही है। गांव के सभी लोग अब शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए शासन की योजनाओं का पूरा लाभ दिया जा रहा है। इस गांव में सामूहिक सहभागिता के काम देखकर मन को संतुष्टि मिलती है।


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