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कैंसर, हृदय तथा मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद निकला छत्तीसगढ़िया चेटी टमाटर

ग्रामीणों की बारी (किचन गार्डन) में अंगूर की तरह गुच्छे में फलने वाले छत्तीसगढ़िया चिरपोटी पताल (चेटी टमाटर) को भारत सरकार ने औषधीय गुणों के कारण पंजीकृत कर लिया है। इसके लिए पहल करने वाले छह वर्षों के लिए किसान रामेश्वर का नाम किया पंजीकृत।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 08:21 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 08:21 PM (IST)
कैंसर, हृदय तथा मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद निकला छत्तीसगढ़िया चेटी टमाटर
कृषि मंत्रालय ने छह वर्षों के लिए किसान रामेश्वर का नाम किया पंजीकृत।

असीम सेनगुप्ता, राज्य ब्यूरो। ग्रामीणों की बारी (किचन गार्डन) में अंगूर की तरह गुच्छे में फलने वाले छत्तीसगढ़िया चिरपोटी पताल (चेटी टमाटर) को भारत सरकार ने औषधीय गुणों के कारण पंजीकृत कर लिया है। इसके लिए पहल करने वाले बलरामपुर जिले के सिंगचौरा गांव निवासी किसान रामेश्वर तिवारी को पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया है।

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छोटे आकार का यह टमाटर कैंसर, हृदय तथा मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद: विशेषज्ञ

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा पिछले चार वर्षों में विभिन्न स्तर पर किए और कराए गए अध्ययन में स्पष्ट हो गया है कि छोटे आकार का यह टमाटर कैंसर, हृदय तथा मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। नगण्य मात्रा में कैलोरी, 0.1 प्रतिशत प्रोटीन और शून्य वसा वाले इस खट्टे टमाटर में विटामिन ए तथा विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा गुणकारी बनाती है। छोटे आकार का होने के कारण प्यारा सा दिखने वाला यह टमाटर सुपाच्य भी है। इसका छिलका एकदम पतला होता है। पश्चिमी देशों में बिना काटे सलाद के रूप में इसका उपयोग किया जा रहा है। महानगरों में भी इसकी अच्छी मांग है।

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कृषि मंत्रालय ने छह वर्षों के लिए किसान रामेश्वर का नाम किया पंजीकृत

मंत्रालय ने विशिष्ट पोषक गुण एवं भंडारण गुणवत्ता के लिए रामेश्वर तिवारी को प्रमाण पत्र दिया है। इसके तहत अगले छह वर्षों तक चिरपोटी पताल के उत्पादन, विक्रय, विपणन, वितरण, आयात या निर्यात का अधिकार तिवारी या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के पास ही होगा। उसके बाद वार्षिक आधार पर पंजीकरण का समय बढ़ाया जाएगा। रामेश्वर तिवारी ने बताया कि चेटी टमाटर के पौधे से उत्पादन भी भरपूर मिलता है। प्रति पौधा लगभग तीन किलो उत्पादन हो रहा है।

कृषि विज्ञानी ने किसान का चेटी टमाटर के लिए प्रोत्साहन किया

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. अरुण त्रिपाठी की देखरेख में शोध और अनुसंधान का काम आगे बढ़े। वर्ष 2016 में  डॉ. त्रिपाठी ने कृषि विज्ञान केंद्र बलरामपुर में तैनाती के दौरान रामेश्वर तिवारी का मार्गदर्शन किया। चेटी टमाटर को पंजीकृत करने के लिए वर्ष 2016 में आवेदन किया था। कई चरण की जांच के बाद इसे पंजीकृत किया गया है।

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रामेश्वर तिवारी ने बताया कि चेटी टमाटर का पंजीकरण होने का लाभ इसके कारोबार से लेकर शोध-अनुसंधान तक में मिलेगा। व्यावसायिक खेती की स्थिति में तिवारी लाभांश में हिस्सेदार होंगे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में यह टमाटर सहज रूप से उपलब्ध है। एक बार किसी की बारी (किचन गार्डन) में पनपने के बाद स्वत: ही हर वर्ष समय से पौधा उग आता है। अध्यनन का फायदा हुआ कि टमाटर के गुण उभर कर सामने आ गए। इससे बाजार में कीमत भी बढ़ेगी और आम लोग इसके गुणों को समझते हुए अधिक से अधिक उपयोग में भी लाएंगे।


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