छत्तीसगढ़: पानी की सतह पर होगी कैबिनेट की बैठक, विशाल झील में खुलेंगे पर्यटन के नए रास्ते
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित सतरेंगा झील को मध्यभारत की सबसे बड़ी झील माना जाता है। कटघोरा-देवपहरी मार्ग पर बाल्को से 25 किलोमीटर दूर पहाड़ के छोर पर यह झील स्थित है।
रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में पहली बार राज्य कैबिनेट की बैठक राजधानी रायपुर से बाहर एक झील में होने जा रही है। कोरबा जिले की सतरेंगा झील पर तैरते हुए क्रूज में 29 फरवरी को यह बैठक होगी। इस बैठक को राज्य के एक अलग हिस्से में पर्यटन विकास की नई संभावनाओं को तलाशने के नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। सतरेंगा एक विशाल झील है जो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित भोजताल से भी दोगुनी बड़ी है। इस अनछुए पर्यटन स्थल पर राज्य सरकार का ध्यान इन दिनों केंद्रित है। पिछले दिनों देश के कई राज्यों में राजधानी से अन्यत्र इस तरह की कैबिनेट बैठकें आयोजित हुई हैं, जिसमें क्षेत्रीय विकास को फोकस कई नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
पहले भी कई राज्यों में हो चुकी है ऐसी बैठक
राजधानी से बाहर कैबिनेट बैठक आयोजित करने का सबसे ज्यादा चलन उत्तराखंड राज्य में देखने को मिलता है। यहां सीएम त्रीवेन्द्र सिंह रावत ने साल 2018 टिहरी झील के किनारे इसी तरह की कैबिनेट बैठक की थी। इस बैठक के बाद टिहरी झील में पर्यटन विकास की नई योजनाएं तैयार की गईं। बिहार में पिछले साल 19 दिसंबर को सीएम नितीश कुमार कैबिनेट की बैठक बोधगया में आयोजित की थी। इस बैठक को भी यहां पर्यटन विकास के अवसर तलाशने के लिए आयोजित किया गया था। मध्यप्रदेश सरकार ने विगत सात दिसंबर को सीएम कमलनाथ की अध्यक्षता में भोपाल की जगह उज्जैन में कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की थी। यह बैठक भी धर्म नगरी उज्जैन में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर फोकस थी। इसी तरह उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्य नाथ की अध्यक्षता में प्रयागराज में पिछले साल 29 जनवरी को कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई थी। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने भी पिछले साल 10 सितंबर को राजधानी चंडीगढ़ की जगह सिक्खों की आस्था से जुड़े प्रमुख स्थल सुल्तानपुर लोधी में कैबिनेट बैठक की थी। इन सभी बैठकों का मूल उद्देश्य क्षेत्र में पर्यटन विकास के लिए नई योजनाएं बनाने पर फोकस रहा है।
मध्य भारत की सबसे बड़ी झील
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित सतरेंगा झील को मध्य भारत की सबसे बड़ी झील माना जाता है। कटघोरा-देवपहरी मार्ग पर बाल्को से 25 किलोमीटर दूर पहाड़ के छोर पर यह झील स्थित है। नीले पानी की यह झील क्षेत्र की जीवनदायिनी बांगो नदी के डुबान क्षेत्र में स्थित है। इस झील के दोनों छोरों के बीच की दूरी करीब दो किलोमीटर है। इस झील को परिधी के आधार पर भोपाल स्थित भोजताल से दोगुना बड़ा माना जाता है। इसके दोनों तटों सतरेंगा और बुका में पठारी संरचना के साथ बेहद आकर्षक प्राकृतिक लैंडस्केप है। झील के तट पर महादेव की एक विशाल मूरत है, जिसका प्रतिबिंब जलाशय में बेहद आकर्षक नजर आता है। जलाशय के तट पर एक ओपन थियेटर भी बनाया गया है, जिसमें राज्य की कला-संस्कृति के दर्शन होते हैं। द्वीपों पर सर्वसुविधायुक्त कॉटेज-रिसॉर्ट बन रहे, ताकि प्रदूषण मुक्त वातावरण में सुकून के पल बिताएं जा सकें।
सतरेंगा की ओर ध्यानाकर्षित करना मुख्य उद्देश्य
सतरेंगा में कैबिनेट की बैठक का मुख्य उद्देश्य पर्यटकों का सतरेंगा की ओर ध्यानाकर्षित कराना है। राज्य सरकार की मंशा है कि यह देश के पर्यटन स्थलों के नक्शे में उभर कर एक नई पहचान स्थापित करे। सतरेंगा व बुका को स्पॉट लाइट में लाकर देश-विदेश के पर्यटकों का रुझान खींचने यह कोशिश सफल होती है, तो कोरबा के स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे। पर्यटन क्षेत्र से आय बढ़ेगी, छत्तीसगढ़ व कोरबा के आदिवासी संस्कृति एवं कला को देश में ख्याति के साथ उनकी आर्थिक उन्न्ति में मदद भी मिल सकेगी।