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छत्तीसगढ़ की एनी फंक भी थी टाइटेनिक पर

छत्तीसगढ़ से भी एक यात्री ने टाइटेनिक जहाज की सवारी की थी। राज्य के जंजगीर-चंपा शहर की यात्री एनी क्लेमेर फंक उन 1500 यात्रियों में शामिल थीं जो 15 अप्रैल, 1912 को टाइटेनिक के हिमखंड से टकराने की त्रासदी में मारे गए थे।

By Edited By: Published: Fri, 13 Apr 2012 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2012 06:43 PM (IST)

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ से भी एक यात्री ने टाइटेनिक जहाज की सवारी की थी। राज्य के जांजगीर-चंपा शहर की यात्री एनी क्लेमेर फंक उन 1500 यात्रियों में शामिल थीं जो 15 अप्रैल, 1912 को टाइटेनिक के हिमखंड से टकराने की त्रासदी में मारे गए थे।

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मिशनरी एनी जांजगीर-चंपा को अपना घर बनाई हुई थी और अपनी बीमार मां को देखने अमेरिका जा रही थीं। एनी वर्ष 1906 में मिशनरी के रूप में अमेरिका से भारत आई थीं। उन्होंने जांजगीर-चंपा में अपनी सेवाएं दीं। वर्ष 1908 में उन्होंने गरीब लड़कियों के लिए एक कमरे के स्कूल और छात्रावास की स्थापना की थी और प्रारंभ में 17 छात्राओं को पढ़ाती थीं। भारत में रहने के दौरान उन्होंने हिंदी भी सीखी थी। बाद में स्कूल का नाम बदलकर एनी सी फंक मेमोरियल स्कूल कर दिया गया। एनी के स्कूल में अब बहुत कुछ नहीं बचा है। केवल बाहरी दीवार के अवशेष ही बचे हैं। हालांकि शहर में एनी की कहानी बहुत प्रचलित है। शहर में एनी के समय का एक शिलाखंड बचा हुआ है जो उनके असाधारण जीवन और जहाज पर हुई उनकी मौत के बारे में बताता है। यहां के सेंट थॉमस स्कूल की प्रिंसिपल सरोजनी सिंह का कहना है कि मेमोरियल स्कूल 1960 तक चला, लेकिन उसके बाद बंद हो गया। टाइटेनिक की तरह ही एनी की कहानी भी मर्मस्पर्शी है। एनी जांजगीर-चंपा से ट्रेन से मुंबई आई थीं। वहां वह इंग्लैंड जाने के लिए एक जहाज पर सवार हुई। उन्हें साउथैंपटन से अमेरिका जाने के लिए एसएस हैवरफोर्ड नामक जहाज पकड़ना था। कोयला मजदूरों की हड़ताल के कारण यह जहाज नहीं जा सका। उनसे 13 पौंड [करीब 1064 रुपये] में अपना टिकट टाइटेनिक के लिए बदलने का अनुरोध किया गया। एनी ने सेकेंड क्लास का टिकट खरीद लिया जिसका नंबर 237671 था। ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया गमेओ के मुताबिक एनी ने टाइटेनिक पर अपने साथी यात्रियों के साथ अपना 38वां जन्मदिन भी मनाया था। उल्लेखनीय है कि साउथैंपटन से न्यूयॉर्क के पहले सफर में ही 15 अप्रैल, 1912 को टाइटेनिक एक हिमखंड से टकराकर अटलांटिक सागर में समा गया था। इस हादसे में 1517 लोगों की जान गई थी। दुनिया की कुछ चुनिंदा दुर्घटनाओं में शुमार इस हादसे ने उस वक्त यूरोप और अमेरिका को हिलाकर रख दिया था।

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