सस्ते आयात से घरेलू गेहूं खेती होगी प्रभावित
किसानों की बिगड़ती हालत का जिक्र करते हुए किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार से कृषि ऋण माफ करने की अपील की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गेहूं के सस्ते आयात के सरकार के फैसले पर किसान संगठनों ने सख्त नाराजगी जताई है। बाजार में आयातित गेहूं की बाढ़ से घरेलू गेहूं की खेती प्रभावित होगी। भारतीय किसान यूनियन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की है। किसानों की बिगड़ती हालत का जिक्र करते हुए किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार से कृषि ऋण माफ करने की अपील की है।
यूनियन की आयोजित प्रेसवार्ता में पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लाखोवाल ने सरकारी फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि अपने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को गेहूं आयात पर 40 फीसद का शुल्क लगाना चाहिए। इसके बगैर किसानों का भला नहीं होगा। जब सरकारी गोदामों में गेहूं की कोई कमी नहीं है तो फिर इस तरह के फैसले का क्या औचित्य है।
गेहूं के शुल्क-मुक्त आयात से बुवाई नहीं होगी प्रभावित
यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारतीय किसान यूनियन महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पड़े सूखे से बेहद चिंतित है। उन्होंने मांग की कि इन राज्यों के किसानों को प्रति एकड़ 25 हजार रुपये की राहत पहुंचाई जाए। नोट बंदी के सवाल पर सिंह ने कहा कि देश के 80 फीसद किसानों का बैंक खाता सहकारी बैंकों में है। ऐसे विपरीत हालात में सरकार ने सहकारी बैंकों का अधिकार छीन लिया। इसका सीधा असर किसानों की वित्तीय हालत पर पड़ा है।
नोट बंदी ऐसे समय में की गई, जब किसान का धान बाजार में बिकने गया और उसे रबी की बुवाई चालू हो चुकी थी। इससे निपटने में किसानों का भारी नुकसान हुआ है। जिन किसानों ने सब्जियों की खेती की है उनकी दशा सबसे अधिक खराब हुई है।