सजा के बाद भी मंत्री पद पर बने हुए हैं कैलाश चौरसिया
बाल विकास व पुष्टाहार राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया की विधान सभा की सदस्यता समाप्त होने में केवल प्रक्रियागत विलंब है और उसके बाद उनका मंत्री पद जाना भी तय है। लेकिन स्वयं चौरसिया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अपने तरीके से परिभाषित करने पर अड़े हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बाल विकास व पुष्टाहार राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया की विधान सभा की सदस्यता समाप्त होने में केवल प्रक्रियागत विलंब है और उसके बाद उनका मंत्री पद जाना भी तय है। लेकिन स्वयं चौरसिया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अपने तरीके से परिभाषित करने पर अड़े हैं।
अपनी इस कोशिश में वह विरोधाभासी बातें भी कह रहे हैं। हाल ही में सजा मिलने के कारण विधान सभा की सदस्यता से हाथ धोने वाले महोबा की चरखारी सीट से सपा विधायक रहे कप्तान सिंह राजपूत के ताजा उदाहरण के बारे में राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया ने ‘जागरण’ से कहा कि उनके ‘केस’ का ‘नेचर’ अलग था।
उन्हें हाई कोर्ट से सजा हुई थी जबकि मुङो निचली अदालत से। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दस जुलाई 2013 को एक ऐतिहासिक फैसले में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा आठ के अनुच्छेद चार को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
इसके तहत सांसद व विधायक सजा पाने के बावजूद तीन महीने तक अपने पद पर बने रहते हुए सजा के खिलाफ ऊपरी आदलत में अपील कर सकते थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि सजा सुनाए जाने के क्षण से ही सांसद अथवा विधायक की सदस्यता समाप्त मानी जाएगी।
इसी आधार पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लोकसभा व पूर्व केंद्रीय मंत्री रशीद मसूद को राज्य सभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी।
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