यहां आज भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का एकमात्र जरिया हैं बैलगाड़ियां, नंबर प्लेट के साथ अनोखा सिस्टम
छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में एक ऐसा गांव है जहां वाहन तो चलते हैं लेकिन उनसे प्रदूषण की कोई समस्या नहीं है।
बीजापुर, जेएनएन। राजधानी दिल्ली में वाहनों की भीड़ के चलते हो रही समस्या और प्रदूषण की चुनौती को देखते हुए इन दिनों ऑड-इवन नंबर सिस्टम अपनाया जा रहा है। इससे वाहनों की सड़क पर भीड़ और प्रदूषण दोनों कम हो रहा है। दूसरी तरफ देश की राजधानी से करीब 12 सौ किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में एक ऐसा गांव है जहां वाहन तो चलते हैं, लेकिन उनसे प्रदूषण की कोई समस्या नहीं है।
बैलगाड़ियां ही पब्लिक ट्रांस्पोर्ट का साधन
दरअसल, यहां आज भी कार्बनिक फ्यूल से चलने वाले वाहनों की जगह बैलगाड़ियां ही पब्लिक ट्रांस्पोर्ट का एकमात्र साधन हैं। जिस तरह पब्लिक ट्रांस्पोर्ट सिस्टम को चलाने के लिए आरटीओ जैसे विभाग होते हैं, ठीक उसी तरह यहां भी बैलगाड़ी परिवहन व्यवस्था के लिए पूरा का पूरा सिस्टम काम कर रहा है। प्रत्येक बैलगाड़ी की अपनी अलग पहचान के लिए बकायदा इनके यूनिक नंबर भी हैं।
छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहा ऑटोमोबइल सेक्टर का व्यापार
छत्तीसगढ़ समेत देश के लगभग सभी हिस्सों में उपयोगिता के चलते ऑटोमोबइल सेक्टर का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, वहीं देश के कई राज्यों में नया ऑटोमोबाइल एक्ट भी लागू हो चुका है। जिसके चलते वाहनों पर चालानी कार्रवाई के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। ऐसे में चालान पर ली जा रही चुटकियों को ठेंगा दिखाती एक तस्वीर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती नेशनल पार्क में देखने को मिली है।
छोटेकाकलेर के येलादी सुरैया एक बैलगाड़ी के मालिक है। पिल्लूर से सेण्डरा के रास्ते करीबी एक गांव में बैलगाड़ी और उसके मालिक मिले। गाड़ी में दो मुसाफिर भी सवार थे, जो एक गांव से दूसरे गांव जाने बैलागाड़ी पर सवार हुए थे। गाड़ी के पिछले हिस्से में मालिक का नाम और नंबर लिखा हुआ था। पूछने पर गाड़ी हांक रहे सुरैया के अलावा मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि पूरे इलाके में 33 गांव आते हैं, रिश्तेदारियों से लेकर राशन के लिए उन्हें लम्बा सफर भी तय करना होता है।
पहाड़ियों और पगडंडियों के कारण बैलगाड़ियों से सफर करना होता है, जिसके चलते लगभग सभी गांवों में बैलगाड़ियां मौजूद हैं, लेकिन कौन से बैलगाड़ी किसकी है, इसकी जानकारी देने गाड़ी मालिकों ने यह व्यवस्था बना रखी हैं, गाड़ी पर मालिक का नाम के साथ गांव का नाम भी लिखा होता है और नंबर भी। इससे गांव का नाम, गाड़ी मालिक और फलां गांव में कितनी गाड़ियां हैं, दूसरे गांवों को इसकी जानकारी आसानी से होती है।