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यूजीसी के बाद अब एआईसीटीई और एनसीटीई में भी होगा बदलाव

सरकार ने यूजीसी को खत्म करने और नई एजेंसी के गठन के अगले चरण में एआईसीटीई और एनसीटीई में भी बदलाव की तैयारी शुरु कर दी है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 29 Jun 2018 09:43 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 09:43 PM (IST)
यूजीसी के बाद अब एआईसीटीई और एनसीटीई में भी होगा बदलाव

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में जुटी सरकार के सामने विश्वविद्यालयों के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा (इंजीनियरिंग) और टीचर्स ट्रेनिंग की गुणवत्ता को भी सुधारने की एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में सरकार ने यूजीसी को खत्म करने और नई एजेंसी के गठन के अगले चरण में एआईसीटीई और एनसीटीई में भी बदलाव की तैयारी शुरु कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही यूजीसी की तरह इसमें भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए है। हालांकि इससे पहले तीनों ही रेगुलेटरी को एक करने की कोशिश थी, लेकिन उसमें सफलता न मिल पाने के बाद सरकार ने सभी में अलग-अलग बदलाव को लेकर यह कदम बढ़ाया है।

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सरकार का इन बदलावों के पीछे मकसद बिल्कुल साफ है। वह इसके जरिए इन रेगुलेटरी को और ज्यादा अधिकार संपन्न बनाना चाहती है, ताकि गुणवत्ता से समझौता और फर्जीवाड़ा करने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। यही वजह है कि यूजीसी को खत्म कर प्रस्तावित नए आयोग को जुर्माना व सजा सुनाने का अभी अधिकार दिया गया है। सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया काउंसिल आफ टेक्नीकल एजुकेशन (एआईसीटीई) और नेशनल काउंसिल आफ टीचिंग एजुकेशन (एनसीटीई) को भी बदलाव के बाद यूजीसी की तरह जुर्माना करने और सजा देने का अधिकार दिया जाएगा। वैसे भी मौजूदा समय में देश में इंजीनियरिंग कालेजों और टीचर्स ट्रेनिंग कालेजों की जो स्थिति है, उसमें बदलाव बेहद जरूरी हो गया है। खासकर इंजीनियरिंग कालेजों की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जा रही है। इसके चलते पिछले चार सालों में पांच सौ से ज्यादा इंजीनियरिंग कालेज बंद भी हुए है। वजह इनकी ज्यादातर सीटों का खाली रहना था।

यह इसलिए हुआ, क्योंकि लोगों ने भवन तैयार कर एआईसीटीई से कालेज चलाने की मान्यता तो ले ली है, लेकिन इन कालेजों के पास न तो पढ़ाने वाले अध्यापक थे और न ही प्रेक्टिकल करने के लिए लेबोरेटरी थी। इन संस्थानों के पास छात्रों से सिर्फ मोटी फीस वसूलने का काम रह गया था। ऐसे ही कुछ स्थिति टीचर्स ट्रेनिंग कालेजों की भी है। पिछले दिनों सरकार ने बगैर किसी गुणवत्ता को जांचे देश भर में चल रहे ऐसे करीब चार हजार बीएड और डीएड कालेजों को नोटिस जारी किया था। इनमें अब एक हजार कालेजों को सही जबाव न दे पाने के चलते बंद भी किया जा चुका है। माना जा रहा है कि इन बदलावों को बाद अब कोई गुणवत्ता से समझौता करके इंजीनियरिंग कालेज और टीचर्स ट्रेनिंग कालेज नहीं चला सकेगा।


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